विराम चिह्न | विराम चिन्हों का प्रयोग | Viram Chihn
हिंदी में प्रयुक्त होने वाले विराम चिह्नों के बारे में हम इस अध्याय में अध्ययन करेंगे। विराम चिन्हों का प्रयोग हिंदी भाषा की स्पष्टता को बनाए रखते है। हिंदी में इनके प्रयोग के बिना वाक्य के अर्थ का अनर्थ हो जाता है।
विराम चिह्न की परिभाषा
लेखक के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें विराम चिह्न कहते है।
विराम चिह्न का शाब्दिक अर्थ है ‘ठहराव’।
जब कोई लेखक लिखना प्रारम्भ करता है तो वो बिना रुके लगातार नहीं लिखता है। बल्कि जाहि थोड़ी देर के लिए रुकता है, ठहरता है और कहीं पूरा (पूर्ण) विराम लेता है। इसी कारन लेखक लिखते समय विराम चिह्नों का प्रयोग करता है। पाठक के भाव को सरल और सुबोध बनाने के लिए विराम चिह्नों का प्रयोग होता है।
सारांश यह है कि वाक्य के सुन्दर गठन और भावाभिव्यक्ति कि स्पष्टता के लिए इन विराम चिह्नों कि आवश्यकता और उपयोगी मानी गयी है।
- हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले विराम चिह्न सीधे ही अंग्रेजी भाषा से लिए गए है।
- हिन्दी भाषा विश्लेषणात्मक है अतः हिन्दी भाषा में बिना विराम चिह्नों के काम नहीं चल सकता है।
- विराम चिह्न भले ही अंग्रेजी भाषा से लिए गए हो, परन्तु इनका प्रयोग हिन्दी के वाक्य रचना के अनुसार किया जाता है। जहाँ अंग्रेजी में क्रिया वाक्य के मध्य में आती है, वहाँ हिन्दी में वह वाक्य के अन्त में आती है, ऐसी स्थिति में हिन्दी में विराम चिह्नों के प्रयोग की विधि अंग्रेजी से भिन्न होगी।
हिन्दी भाषा में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख विराम चिह्न
हिन्दी में मुख्यतः निम्न विराम चिह्न होते है –
(1) अर्द्धविराम ( ; ) (Semicolon)
(2) पूर्ण विराम ( । ) (Full Stop)
(3) अल्पविराम ( , ) (Comma)
(4) योजक चिह्न ( – ) (Hyphen)
(5) प्रश्नवाचक चिह्न ( ? ) (Sign of Interrogation)
(6) विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! ) (Sign of Exclamation)
(7) उद्धरण चिह्न ( ” ” ) (Inverted Comma)
(8) कोष्ठक चिह्न ( ), [ ], { } (Bracket)
(9) विवरण चिन्ह ( :- ) (Colon and Dash)
(10) कोलन ( : ) (Colon)
(11) लोप सूचक ( … )
(1) अर्द्धविराम ( ; ) (Semicolon)
पढ़ते समय जिन स्थानों पर अलप विराम की अपेक्षा कुछ अधिक देर तक रुका जाता है वहाँ अर्द्ध विराम लगाया जाता है। जैसे –
जब तक गरीब कमजोर है; असहाय है; उनका उद्धार नहीं हो सकता है।
- यदि एक वाक्य या वाक्यांश के साथ दूसरे का दूर का सम्बन्ध बतलाना हो तो वहाँ अर्द्धविराम का प्रयोग होता है। जैसे –
वह एक ईमानदार व्यक्ति है; ऐसा पूरा शहर मानता है। - यदि प्रधान वाक्य से सम्बन्ध अन्य सहायक वाक्यांशों का प्रयोग कर किया जाये तो अर्द्धविराम लगाकर सहायक वाक्यांशों को अलग किया जा सकता है। जैसे –
बारिश के समय बड़े लोग भी बारिश में निकलते है; बारिश का पानी उछालते है; बारिश की बूंदों से खेलते है। - सभी प्रकार की डिग्रीयों या उपाधियों के लेखन में अर्द्धविराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
बी.ए.; बी.एड.; एम.एस.सी.; एम.बी.बी.एस;
(2) पूर्ण विराम ( । ) (Full Stop)
वाक्य जहाँ समाप्त होता है उस स्थान पर पूर्ण विराम का चिह्न लगाया जाता है। जैसे – मोहन ने खाना खा लिया।
- वर्णनात्मक वाक्यों के अन्त में इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे –
मोहन एक इंजिनियर है। - आज्ञात्मक वाक्यों के अन्त में इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे –
दरवाजा खोल दो।
(3) अल्पविराम ( , ) (Comma)
पढ़ते समय जिस स्थान पर थोड़ी देर के लिए रुका जाता है, वहां प्राय: अलप विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे – आज गाँवों, नगरों, महानगरों में बसों की हड़ताल रहेगी।
- उपवाक्यों के पूर्व इस का प्रयोग होता है। जैसे –
हमारे गाँव के सरपंच, सज्जन सिंह, बड़े भले मानुष है। - समान पदों व वाक्यों को पृथक करने के लिए अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
सत्यवादिता में राजा हरिश्चंद, राजा हरिश्चंद ही थे। - शब्दों पर बल देने के लिए अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
अरे बच्चो, लड़ों नहीं। - सम्बोधन के बाद अल्प विराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
मोहन ने कहा, “इज्जत से बढ़कर कुछ नहीं है।”
(4) योजक चिह्न ( – ) (Hyphen)
संयोजक या विभाजक चिह्न दो या दो से अधिक शब्दों के योग या विभाजन को सूचित करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
माता-पिता
रात-दिन
सुख-दुःख आदि।
(5) प्रश्नवाचक चिह्न ( ? ) (Sign of Interrogation)
प्रश्नवाचक चिह्नों का प्रयोग निम्नलिखित अवस्थाओं में किया जाता है –
- जहाँ प्रश्न करने या पूछे जाने का बोध हो। जैसे –
क्या आपने खाना खाया ? - जहाँ स्थिति निश्चित न हो।
वह शायद मोहन का भाई है ? - व्यंग्योक्तियों में। जैसे –
भ्र्ष्टाचार इस युग का सबसे बड़ा शिष्टाचार है, हैं न ?
जहाँ घूसखोरी का बाज़ार गर्म है, वहां ईमानदारी कैसे टिक सकती है ?
(6) विस्मयादिबोधक चिह्न ( ! ) (Sign of Exclamation)
इस विराम चिह्न का प्रयोग हर्ष, विषाद, विस्मय, घृणा, आश्चर्य, भय, करुणा आदि भावों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित स्थितियों में होता है :-
- अपने से बड़ों को सदर सम्बोधित करने में इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे –
हे भगवान ! सबका भला करो।
हे राम ! सबका दुःख दूर होवे। - आहद सूचक शब्दों, पदों और वाक्यों के अंत में इसका प्रयोग किया जाता है। जैसे –
वाह ! तुमने तो कमाल कर दिया। - जहाँ अपने से छोटों के प्रति शुभकामनाएँ और सद्भावनाएं प्रकट की जायें। जैसे –
आपका पुत्र सुखी रहें !
भगवान आपका भला करें !
सोहन आपको हार्दिक बधाइयाँ ! - जहाँ मन में उत्पन्न हँसी-ख़ुशी को व्यक्त किया जायें। जैसे –
कितना सुंदर दृश्य है !
तुम जरूर सफल होओगे, शाबाश !
कितना स्वादिष्ट खाना बनाया तुमने !
वाह !, शाबाश !
(7) उद्धरण चिह्न ( ” ” ) (Inverted Comma)
उद्धरण चिह्न के दो रूप है – इकहरा ( ‘ ‘ ) और दुहरा ( ” “)
- जहाँ किसी पुस्तक से कोई वाक्य या अवतरण ज्यों का त्यों उद्धत किया जायें, वहाँ दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
“जीवन विश्व की सम्पति है।” – जय शंकर प्रसाद - जहाँ कोई विशेष शब्द, पद, वाक्यखंड इत्यादि उद्धत किये जायें, वहाँ इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है।
‘एक दिये की दिवाली’ को संक्षिप्त में लिखिए। - पुस्तक, समाचार पत्र, लेखक का उपनाम, लेख का शीर्षक इत्यादि उद्धत करते समय इकहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
‘क्रिकेट सम्राट’ एक मासिक पत्रिका है।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ एक अंग्रेजी समाचार पत्र है।
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी के महान कवि है। - महत्वपूर्ण कथन, कहावत, सन्धि आदि को उद्धत करने में दुहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे –
जवाहर लाल नेहरू ने कहा था – “जय जवान जय किसान”
(8) कोष्ठक चिह्न ( ), [ ], { } (Bracket)
वाक्य में आये पदविशेष को भलीभाँति स्पष्ट करने के लिए कोष्ठकों का व्यवहार होता है। जैसे –
धर्मराज (युधिष्ठिर) सत्य और धर्म के संरक्षक थे।
राष्ट्रपिता (महात्मा गाँधी) को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल जाना पड़ा।
(9) विवरण चिन्ह ( :- ) (Colon and Dash)
किसी पद की व्याख्या करने या किसी के बारे में विस्तार से कुछ कहने केलिए जिस चिह्न का प्रयोग किया जाता है, उसे विवरण चिह्न कहते हैं। जैसे –
संज्ञा तीन प्रकार की होती है
व्यक्ति वाचक संज्ञा :-
(10) कोलन ( : ) (Colon)
कथोपकथन में, कहे हुए वाक्य के पूर्व उदाहरण देने जैसे उदाहरणार्थ अर्थात शब्दों के स्थान पर इस का प्रयोग होता है। जैसे –
मैंने कहा : आ जाओ।
जीवन के तीन लक्ष्य है : क्ष्रम, सेवा और संतोष।
(11) लोप सूचक ( … )
वार्तालाप में वाक्य पूर्ण होने से पूर्व ही उत्तर प्राप्त हो जाए या किसी वाक्य का आधा अंश ही लिखा जाए तब इस का प्रयोग किया जाता है। जैसे –
मोहन ने कहा था …
तुम तो बहुत ही …