परमाणु की संरचना और इसके सिद्धांत | Theories Of Atomic Structure | Parmanu ki Sanrachna aur Iske Sidhdhant
परमाणु की संरचना और इसके सिद्धांत (Theories Of Atomic Structure), डॉल्टन का परमाणु सिद्धांत
1. डाल्टन का परमाणु सिद्धांत (Dolton’s Atomic Theory)
परमाणु और अणु में अन्तर (Atoms and Molecules)
परमाणु और अणु में अंतर
क्रम सं. | परमाणु | अणु |
1 | परमाणु किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण है जो उसकी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है। | अणु किसी तत्व अथवा यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है। |
2 | ये इलेक्टॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन से मिलकर बने होते है। | ये परमाणु से मिलकर बने होते है। |
3 | परमाणु प्राय: स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते है। | अणु प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में रहे सकते है। |
4 | रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु लगभग अविभाज्य रूप में भाग लेते है तथा इनका स्वरुप स्पष्ट नहीं होता है। | रासायनिक अभिक्रियाओं में अणु प्राय: परमाणु में विभाजित हो जाते है, जो रासायनिक संयोग द्वारा अन्य प्रकार के अणु बनाते है। |
परमाणु के मौलिक कण (Fundamental Particle of Atom)
कई वैज्ञानिको ने यह सिद्ध कर दिया था की परमाणु कुछ मूलभूत कणों से मिलकत बना होता है जैसे इलेक्ट्रान, प्रोटोन और न्यूट्रॉन। यहाँ हम इन्ही मूलभूत कणो के बारे में विस्तार से जानेगे।
इलेक्ट्रॉन की खोज
इलेक्ट्रॉन की खोज सन 1859 में जे. जे. थॉमसन ने की थी। इन कणो का नामकरण स्टोनी ने किया था।
जे. जे. थॉमसन ने गैसों में कम दाब पर विद्युत प्रवाहित की। लगभग सेमी लम्बी कांच की विसर्जन नलिका में लगभग 10-3 मि.मी. पारे के दाब पर किसी गैस को लिया गया और नाली के दोनों सिरों पर दो इलेक्ट्रोड लगाए गए। दोनों इलेक्ट्रोड के बीच 1000 वोल्ट से 30000 वोल्ट तक का उच्च विभवांतर प्रयुक्त करने पर पाया गया की कांच की नली में कैथोड से कुछ किरणे निकल कर सामने वाली दीवार पर पड़ती है। जिससे हरे रंग के प्रकाश की चमक उत्पन्न होती है, इन किरणों को जे. जे. थॉमसन ने कैथोड किरणे कहा।
जे. जे. थॉमसन ने कैथोड किरणों के कणो पर उपस्थित ऋण आवेश एवं उनकी मात्रा का अनुपात ज्ञात करके बताया की ये अनुपात विसर्जन नलिका के इलेक्ट्रोडो के पदार्थ या नली में उपस्थित गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है परन्तु प्रत्येक दशा में नियत रहता है।
* इलेक्ट्रान क्रुक्स द्वारा प्राप्त की गयी कैथोड किरणों के ऋणावेशित कण होते है।
* इलेक्ट्रान का द्रव्यमान = 9.1×10-28 ग्राम या 9.1×10-31 किग्रा
* इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन की तुलना में 1/1840 होता है।
* इलेक्ट्रान पर आवेश की खोज मिलिकन के द्वारा की गयी।
* इलेक्ट्रान पर आवेश C.G.S पद्धति में 4.8×10-10 esu
M.K.S पद्धति ने 1.6×10-19 कुलाम होता है।
(1esu = 3.33×10-10 कुलाम)
* इलेक्ट्रॉन की मौलर संहति = 9.1×10-28 या 6.023×10-23
= 5.49×10-4 ग्राम/मोल
* इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 0.000527 amu होता है।
प्रोटॉन की खोज
प्रोटॉन की खोज गोल्डस्टीन ने 1886 में की थी।
यदि विसर्जित नलिका के मध्य छिद्रित कैथोड़ का प्रयोग किया जाये एवं कम दाब पर गैसों में विद्युत प्रवाहित की जाये तो एक प्रकार की किरण उत्प्न्न होती है, जो एनोड से कैथोड़ की ओर गतिशील होती है एवं कैथोड़ के छिद्र से निकलकर विसर्जन नलिका की दीवार से टकराकर चमक उत्प्न्न करती है। इन किरणों को एनोड किरणे, कैनाल किरण या गोल्डस्टीन किरणे कहा जाता है।
* ये एनोड किरणों में उपस्थित धनावेशित कण होते है जबकि विद्युत विसर्जन नलिका में हाइड्रोजन (H) गैस भरी हो।
* प्रोटॉन का द्रव्यमान 1.672×10-24 ग्राम होता है।
* इसका द्रव्यमान 1.0072 A.m.u होता है।
* प्रोटॉन का द्रव्यमान H के द्रव्यमान के समान होता है।
* प्रोटॉन पर आवेश = +4.8×10-10 esu
= +1.6×10-19 कुलाम
* नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन की संख्या परमाणु क्रमांक कहलाती है। इसकी खोज मोजले ने की थी। यह परमाणु के भौतिक गुण होता है। मोजले के अनुसार इलेक्ट्रॉन की धातु पर बौछार से विकिरणों की आवृत्ति नाभिकीय आवेश के समानुपाती होती है।
$sqrt{nu }propto (z-b)$
$sqrt{nu }=a(z-b)$
जहाँ a,b नियतांक z = नाभिकीय आवेश या परमाणु क्रमांक होता है।
$nu $= उत्पन्न विकिरणों की आवृति
न्यूट्रॉन की खोज
* न्यूट्रॉन की खोज चैडविक के द्वारा की गयी।
* इन उदासीन कणों के द्रव्यमान 1.675×10-24 ग्राम होता है।
* न्यूट्रॉन का द्रव्यमान 1.0086 Amu होता है।
* उदासीन परमाणुओं में इलेक्ट्रान व प्रोटॉन की संख्या परमाणु क्रमांक के समान होती है। इस आधार पर तत्व के एक परमाणु में उपस्थित प्रोटॉन व इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है।
* तत्वों का वास्तविक द्रव्यमान उनमें उपस्थित प्रोटॉनों व इलेक्ट्रॉनों के द्रव्यमान के लगभग दुगुने होते है।
* रदरफोर्ड ने इसी आधार पर बताया कि तीसरे प्रकार के कण भी विद्यमान होते है। जिनका भार हाइड्रोजन के परमाणु भार के लगभग बराबर होता है।
थॉमसन का परमाणु मॉडल (Thomson’s Atomic Model)
रदरफोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग (Gold Foil Experiment of Rutherford)
* रदरफोर्ड ने सोने की पतली झिल्ली (0.004 m.m) पर @ कणों की बौछार की (α कण हीलियम के द्विधनावेशित नाभिक होते है) तथा यह देखा कि
- अभिकांश α कण सीधे ही गमन कर जाते है।
- कुछ α कण अपना मार्ग परिवर्तित कर लेते है।
- 20000 में से एक-दो कण पुनः अपने मार्ग में लौट जाते है।
- परमाणु के केंद्र में अति सूक्ष्म धनावेशित भाग नाभिक होता है।
- परमाणु खोखला होता है।
- इस खोखले परमाणु में ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर वृत्ताकार पथ में चक्कर लगाते है।
- परमाणु का समस्त भार नाभिक में केन्द्रित होता है तथा नाभिक का आकार 10-15 m होता है।
- परमाणु के आयतन की तुलना में नाभिक का आयतन 1015 गुणा छोटा होता है।
परमाणु का आयतन/नाभिक का आयतन $frac{Volume.of.atom}{Volume.of.nucleus}$
$frac{frac{4}{3}pi {{r}^{3}}}{frac{4}{3}pi {{r}^{3}}}=frac{{{({{10}^{-10}})}^{3}}}{{{({{10}^{-15}})}^{3}}}={{10}^{15}}$
रदरफोर्ड के मॉडल की कमियाँ
1. नाभिक के चारो ओर घूमते हुए इलेक्ट्रॉन के द्वारा विद्युत चुम्बकीय विकिरणों के रूप मे (मैक्सवेल के अनुसार) ऊर्जा का उत्सर्जन होना चाहिए, अतः ऊर्जा में कमी के कारण धीरे धीरे इलेक्ट्रॉन नाभिक के निकट आते हुए अन्त में नाभिक में गिर जाना चाहिए किन्तु ऐसा नही होता।
2. रदरफोर्ड कोई हाइड्रोजन परमाणु के रेखिय स्पेक्ट्रम की व्याख्या नही कर सका अर्थात स्पेक्ट्रमी रेखाओ की उत्पति क् कारण नही बता सका।
$begin{align} & Epropto nu \ & E=hnu \ end{align}$
जहाँ – h = 6.625×10-27 अर्ग-परमाणु
$nu $ = फोटोन की आवृति
E = फोटोन की ऊर्जा
* प्लांक के अनुसार किसी भी तत्व के द्वारा ग्रहण की गयी अथवा उत्सर्जित की गयी ऊर्जा कानो के रूप में होती है, जिन्हें क्वांटा या फोटोन कहते है।
नील्स बोर की परिकल्पनाएं (Bohr’s Postulate)
अणु और परमाणु में इलेक्ट्रॉन की गणना करना –
1. 18 gm H2O में इलेक्ट्रॉन के कितने मोल होंगे ?
हल : H2O में इलेक्ट्रॉन की संख्या = 10
चूँकि 18 gm H2O = 1 मोल
∴ 18 gm H2O में e– = 10 मोल
2. 8 gm आणविक ऑक्सीजन में उपस्थित e– की संख्या होगी ?
हल – O2 के मोल = O2 के gm / O2 के अणुभार
= 8/32 = 1/4
= 0.25
चूँकि O2 में e– की संख्या = 16N
∴ 0.25 मोल O2 में e– की संख्या = 16N × 0.25 = 4N
= 4 × 6.023 × 10-23
⇒ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 0.000527 A.m.u होता है।