Simple Interest Formula | Simple Interest and Compound Interest | साधारण ब्याज एवं चक्रवृद्धि ब्याज
simple interest formula साधारण ब्याज की परिभाषा – जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति, बैंक या संस्था से रुपये/धन उधर लेता है, तो वह अन्य व्यक्ति, बैंक या संस्था अपने रुपये/धन पर अतिरिक्त धन राशि वसूल करती है। यही अतिरिक्त धन ब्याज कहलाता है। यहाँ हम simple interest formula से कुछ सवालों के हल करना सीखेंगे।
साधारण ब्याज की परिभाषा व महत्वपूर्ण सूत्र Simple Interest Formula, Definition and Important Formula
- मूलधन Principal – उधार ली गयी राशि या उधार दी गयी राशि को मूलधन कहते है। उदाहरणतः किशोर ने रामलाल से ₹2000 उधार लिया तो यहाँ मूलधन ₹2000 होगा।
- मिश्रधन Amount – मूलधन व ब्याज का योगफल मिश्रधन कहलाता है। अर्थात मूलधन में ब्याज को सम्मिलित कर दिया जाये तो वह राशि मिश्रधन कहलाती है।
Simple Interest Formula
3. \(\displaystyle P=\frac{{SI\times 100}}{{RT}}\)
4. \(\displaystyle T=\frac{{SI\times 100}}{{PR}}\)
6. Principal = Amount – Interest
मूलधन = मिश्रधन – ब्याज
7. Interest = Amount – Principal
ब्याज = मिश्रधन – मूलधन
चकवृद्धि ब्याज परिभाषा व महत्वपूर्ण सूत्र (Compound Interest and Important Formula)
- कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से धन उधार लेता है तो ब्याज की राशि समय समाप्त होने पर एक साथ लौटाई जाती है । अर्थात् ब्याज की गणना निर्धारित समय के लिए मूलधन पर ही की जाती है ।
- परन्तु सदैव ऐसा नहीं होता। कभी कभी ब्याज पर धन उधार लेते समय इस प्रकार की शर्त लगी रहती है कि ब्याज की राशि का निश्चित समयावधि (तीन महीने, छ: महीने या एक वर्ष) के समाप्त होने के पश्चात् भुगतान कर दिया जायेगा । यदि ब्याज की राशि का भुगतान निर्धारित समय पर नहीं किया जाये तो ब्याज की इस राशि को मूलधन में जोड दिया जायेगा और यह राशि (मूलधन + ब्याज) मिश्रधन कहलायेगी, जो कि आगे की समयावधि के लिए ब्याज ज्ञात करने में मूलधन समझा जायेगा अर्थात् निर्धारित समय के बाद मूलधन के साथ-साथ उसके ब्याज पर ब्याज देना होगा । इस प्रकार जब निश्चित अवधि में ब्याज न चुकाया जाये और संचित ब्याज की राशि को मूलधन में जोडकर ब्याज की गणना की जाये तो ऐसे ब्याज को चक्रवृद्धि (Compound interest) कहते हैं !
- चक्रवृद्धि ब्याज = अन्तिम समयावधि का मिश्रधन – प्रथम समयावधि का मूलधन
- आसान शब्दों में जब उधार दिये हुए धन के साथ शेष ब्याज को जोड़कर दोनों पर सम्मिलित रूप से ब्याज लिया जाए तो ऐसा ब्याज चक्रवृद्धि ब्याज कहलाता है। अर्थात कहा जाये तो मूलधन व मूलधन के ब्याज पर जो ब्याज लिया जाए उसे चक्रवृद्धि ब्याज कहते है।
3. जब ब्याज की दर अर्द्धवार्षिक देय हो तो ब्याज की दर आधी (R/2) व समय दुगुना (2n) हो जाता है।
\(\displaystyle A=P{{\left( {1+\frac{R}{{4\times 100}}} \right)}^{{4T}}}\)

5. जब ब्याज की दर पहले वर्ष R1%, दूसरे वर्ष R2% तथा तीसरे वर्ष R3% हो तो
\(\displaystyle A=P\left( {1+\frac{{{{R}_{1}}}}{{100}}} \right)\left( {1+\frac{{{{R}_{2}}}}{{100}}} \right)\left( {1+\frac{{{{R}_{3}}}}{{100}}} \right)\)
चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न :
\(\displaystyle \begin{array}{l}=\frac{{P\times R\times 3}}{{100}}\\=\frac{{3PR}}{{100}}\end{array}\)