NCERTBoardBSEBBSERCBSECGBSEChapter 3Class 10HindiHPBOSEKSEEBMPBSEMSBSHSE SSC ExamQuestion & AnswerRBSESolutionUBSEUPMSPWBBSEकाव्य खंड

NCERT Solutions for hindi class10 Chapter 3 Dev Savaiya | कक्षा 10 हिंदी क्षितिज पाठ 3 देव सवैया

NCERT Solutions for hindi class10 Chapter 3 Dev Savaiya free question and answers given in this section. Dev Savaiya एन सी ई आर टी कक्षा 10 क्षितिज गद्य खंड देव सवैया काव्य खंड। class 10 Hindi kshitij chapter 3 question answer  available free in eteacherg.com। Here We learn what is in this lesson in Hindi class 10 hindi chapter 3 solutions Dev Savaiya and how to solve questions एनसीइआरटी class 10 Hindi kshitij chapter 3 question answer.

NCERT Solutions for hindi class10 Chapter 3 Dev Savaiya is a part NCERT class 10 hindi kshitij are part of class 10 hindi kshitij chapter 3 question answer. Here we have given ncert solutions for class 10 hindi kshitij chapter 3 prashan uttr Dev Savaiya. class 10 hindi kshitij chapter 3 question answer below. These solutions consist of answers to all the important questions in NCERT book chapter 3.
Here we solve NCERT Solutions for hindi class10 Chapter 3 Dev Savaiya question answer प्रश्नों के उत्तर concepts all questions with easy method with expert solutions. It help students in their study, home work and preparing for exam. Soon we provide Hindi class 10 ncert solutions Kshitij chapter 3 hindi anuvaad aur prashan uttr question and answers. is provided here according to the latest NCERT (CBSE) guidelines. Students can easily access the hindi translation which include important Chapters and deep explanations provided by our expert. Get CBSE in free PDF here. ncert solutions for ncert solutions for class 10 hindi kshitij chapter 3 pdf also available Click Here or you can download official NCERT website. You can also See NCERT Solutions for Hindi class 10 book pdf with answers all Chapter to Click Here.

NCERT Solutions for hindi class10 Chapter 3 Dev Savaiya

ncert solutions for class 10 hindi Chapter 3 Question Answer

कक्षा – 10
पाठ – 3
हिंदी
देव सवैया

NCERT Solutions for hindi class10 Chapter 3 Dev Savaiya Questions and Answers
देव सवैया पाठ के प्रश्न-उत्तर

प्रश्न अभ्यास

1. कवि ने ‘श्रीबज्रदूलह’ किसके लिए प्रयुक्त किया है और उन्हें ससांर रूपी मंदिर दीपक क्यों कहा है?
उत्तर – देव जी ने ‘श्रीबज्रदूलह’ श्री कृष्ण भगवान के लिए प्रयुक्त किया है। कवि उन्हें संसार रूपी मंदिर का दीपक इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार एक दीपक मंदिर में प्रकाश एवं पवित्रता का सूचक है, उसी प्रकार श्रीकृष्ण भी इस संसार-रूपी मंदिर में ईश्वरीय आभा का प्रकाश एवं पवित्रता का संचार करते हैं। उन्हीं से यह संसार प्रकाशित है।

2. पहले सवैये में से उन पंक्तियों को छाँटकर लिखिए जिनमें अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है?
उत्तर – अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग निम्न पंक्तियों में हुआ है –

  • अनुप्रास अलंकार
    कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
    साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
  • रुपक अलंकार
    मंद हँसी मुखचंद जुंहाई, जय जग-मंदिर-दीपक सुन्दर।

3. निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
उत्तर – 
भाव सौंदर्य – इन पंक्तियों में कृष्ण के अंगों एवं आभूषणों की सुन्दरता का भावपूर्ण चित्रण हुआ है। कृष्ण के पैरों की पैजनी एवं कमर में बँधी करधनी की ध्वनि की मधुरता का सुन्दर वर्णन हुआ है। कृष्ण के श्यामल अंगों से लिपटे पीले वस्त्र को अत्यंत आकर्षक बताया गया है। कृष्ण का स्पर्श पाकर ह्रदय में विराजमान सुंदर बनमाला भी उल्लसित हो रही है। यह चित्रण अत्यंत भावपूर्ण है।

शिल्प-सौंदर्य – देव ने शुद्ध साहित्यिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। पंक्तियों में रीतिकालीन सौंदर्य-चित्रण का झलक है। साथ में अनुप्रास अलंकार की छटा है। श्रृंगार – रस की सुन्दर योजना हुई है।

4. दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।
उत्तर – दूसरे कवित्त के आधार पर ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से निम्न प्रकार भिन्न है –

  • दूसरे कवियों द्वारा ऋतुराज वसंत को कामदेव मानने की परंपरा रही है परन्तु देवदत्त जी ने ऋतुराज वसंत को कामदेव का पुत्र मानकर एक बालक राजकुमार के रुप में चित्रित किया है।
  • दूसरे कवियों ने जहाँ वसन्त के मादक रुप को सराहा है और समस्त प्रकृति को कामदेव की मादकता से प्रभावित दिखाया है। इसके विपरीत देवदत्त जी ने इसे एक बालक के रुप में चित्रित कर परंपरागत रीति से भिन्न जाकर कुछ अलग किया है।
  • वसंत के परंपरागत वर्णन में फूलों का खिलना, ठंडी हवाओं का चलना, नायक-नायिका का मिलना, झूले झुलना आदि होता था। परन्तु इसके विपरीत देवदत्त जी ने यहाँ प्रकृति का चित्रण, ममतामयी माँ के रुप में किया है। कवि देव ने समस्त प्राकृतिक उपादानों को बालक वसंत के लालन-पालन में सहायक बताया है।
    इस आधार पर कहा जा सकता है कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत बसंत वर्णन से सर्वथा भिन्न है।

5. ‘प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै’ – इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति के द्वारा कवि ने वसंत ऋतु की सुबह के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। वसंत ऋतु को राजा कामदेव का पुत्र बताया गया है। बालक वसंत को प्रातःकाल गुलाब चुटकी बजाकर जगाते हैं। वसंत ऋतु में सवेरे जब गुलाब के फूल खिलते हैं तो वसंत के दिवस का प्रारंभ होता है। कहने का आशय यह है कि वसंत में प्रातः ही चारों ओर गुलाब खिल जाते हैं।

6. चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
उत्तर – कवि देव ने आकाश में फैली चाँदनी को स्फटिक (क्रिस्टल) नामक शिला से निकलने वाली दुधिया रोशनी के समतुल्य बताकर उसे संसार रुपी मंदिर पर छितराते हुए देखा है। कवि देव की नज़रें जहाँ तक जाती हैं उन्हें वहाँ तक बस चाँदनी ही चाँदनी नज़र आती है। यूँ प्रतीत होता है मानों धरती पर दही का समुद्र हिलोरे ले रहा हो।उन्होंने चाँदनी की रंगत को फ़र्श पर फ़ैले दूध के झाग़ के समान तथा उसकी स्वच्छ्ता को दूध के बुलबुले के समान झीना और पारदर्शी बताया है।

7. ‘प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चंद’ – इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?
उत्तर – भाव: कवि अपने कल्पना में आकाश को एक दर्पण के रूप में प्रस्तुत किया है और आकाश में चमकता हुआ चन्द्रमा उन्हें प्यारी राधिका के प्रतिबिम्ब के समान प्रतीत हो रहा है। कवि के कहने का आशय यह है कि चाँदनी रात में चन्द्रमा भी दिव्य स्वरुप वाला दिखाई दे रहा है।

अलंकार: यहाँ चाँद के सौन्दर्य की उपमा राधा के सौन्दर्य से नहीं की गई है बल्कि चाँद को राधा से हीन बताया गया है, इसलिए यहाँ व्यतिरेक अलंकार है, उपमा अलंकार नहीं है।

8. तीसरे कवित्त के आधार पर बताइए कि कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?
उत्तर – कवि देव ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए स्फटिक शीला से निर्मित मंदिर का, दही के समुद्र का, दूध के झाग का , मोतियों की चमक का और दर्पण की स्वच्छ्ता आदि जैसे उपमानों का प्रयोग किया है।

9. पठित कविताओं के आधार पर कवि देव की काव्यगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर – रीतिकालीन कवियों में देव को अत्यंत प्रतिभाशाली कवि माना जाता है। देव की काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  • देवदत्त ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि हैं।
  • कवित्त एवं सवैया छंद का प्रयोग है।
  • भाषा बेहद मंजी, कोमलता व माधुर्य गुण को लेकर ओत-प्रोत है।
  • देवदत्त ने प्रकृति चित्रण को विशेष महत्व दिया है।
  • देव अनुप्रास, उपमा, रूपक आदि अलंकारों का सहज स्वाभाविक प्रयोग करते हैं।
  • देव के प्रकृति वर्णन में अपारम्परिकता है। उदाहरण के लिए उन्होंने अपने दूसरे कवित्त में सारी परंपराओ को तोड़कर वसंत को नायक के रुप में न दर्शा कर शिशु के रुप में चित्रित किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!