NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 9 Saptbhaginyh Hindi Translate | कक्षा 8 संस्कृत नवम: पाठ: हिंदी अनुवाद

Ncert solutions for class 8 sanskrit Ruchira Chapter 9 Saptbhaginyh सप्तभगिन्यः अर्थात सात बहने। Here We learn what is in this lesson सप्तभगिन्यः and how to solve questions एनसीइआरटी कक्षा 8 संस्कृत रुचिरा तृतीयो भाग: अष्टमवर्गाय संस्कृतपाठ्यपुस्तकम् नवम: पाठ: सप्तभगिन्यः का हिंदी अनुवाद और प्रश्न उत्तर सम्मिलित है।
NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit ruchira bhaag tritya paath 9 सप्तभगिन्यः NCERT kaksha 8 sanskrit – Ruchira are part of NCERT Solutions for Class 8 sanskrit Ruchira. Here we have given NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit paath 9 Saptbhaginyh.

Here we solve ncert solutions for class 8 sanskrit chapter 9 Saptbhaginyh सप्तभगिन्यः हिंदी अनुवाद और प्रश्नों के उत्तर concepts all questions with easy method with expert solutions. It help students in their study, home work and preparing for exam. Soon we provide NCERT class 8 sanskrit Ruchira chapter 9 Saptbhaginyh hindi anuvaad aur prashan uttar question and answers. NCERT Solutions Class 8 sanskrit Chapter 9 सप्तभगिन्यः प्रश्न उत्तर और हिंदी अनुवाद in free PDF here. ncert solutions for 8th Sanskrit book pdf sanskrit book class 8 also available Click Here or you can download official NCERT website. You can also See NCERT Solutions for class 8 Sanskrit all Chapter to Click Here.

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit Ruchira

कक्षा – 8 अष्टमवर्गाय
संस्कृतपाठयपुस्तकम्

नवम: पाठ: पाठ – 9
सप्तभगिन्यः

NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit सप्तभगिन्यः पाठ का हिंदी अनुवाद सात बहनें के अभ्यास प्रश्न Click Here

पाठ परिचय

[‘सप्तभगिनी’ यह एक उपनाम है। उत्तर-पूर्व के सात राज्य विशेष को उक्त उपाधि दी गई है। इन राज्यों का प्राकृतिक सौन्दर्य अत्यन्त विलक्षण है। इन्हीं के सांस्कृतिक और सामाजिक वैशिष्ट्य को ध्यान में रखकर यह पाठ लिखा गया है।]

अध्यापिका – सुप्रभातम्।
छात्राः – सुप्रभातम्। सुप्रभातम्।
अध्यापिका – भवतु। अद्य किं पठनीयम्?
छात्राः – वयं सर्वे स्वदेशस्य राज्यानां विषये ज्ञातुमिच्छामः।
अध्यापिका – शोभनम्। वदत। अस्माकं देशे कति राज्यानि सन्ति?
सायरा – चतुर्विंशतिः महोदये!
सिल्वी – न हि न हि महाभागे! पञ्चविंशतिः राज्यानि सन्ति।
अध्यापिका – अन्यः कोऽपि ……..?

हिन्दी अनुवाद – 

अध्यापिका – सुप्रभात।
छात्राएँ – सुप्रभात। सुप्रभात।
अध्यापिका – ठीक है। आज क्या पढ़ना है?
छात्राएँ – हम सभी अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहते हैं।
अध्यापिका – बहुत अच्छा। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं?
सायरा – महोदया जी! चौबीस।
सिल्वी – नहीं, नहीं महोदया जी! पच्चीस राज्य हैं।
अध्यापिका – और कोई भी…..? (अर्थात और कोई भी उत्तर बताना चाहेगा।)

स्वरा – (मध्ये एव) महोदये! मे भगिनी कथयति यदस्माकं देशे नवविंशतिः राज्यानि सन्ति। एतदतिरिच्य सप्त केन्द्रशासितप्रदेशाः अपि सन्ति।
अध्यापिका – सम्यग्जानाति ते भगिनी। भवतु, अपि जानीथ यूयं यदेतेषु राज्येषु सप्तराज्यानाम् एकः समवायोऽस्ति यः सप्तभगिन्यः इति नाम्ना प्रथितोऽस्ति।
सर्वे – (साश्चर्यम् परस्परं पश्यन्तः) सप्तभगिन्यः? सप्तभगिन्यः?
निकोलसः – इमानि राज्यानि सप्तभगिन्यः इति किमर्थं कथ्यन्ते?
अध्यापिका – प्रयोगोऽयं प्रतीकात्मको वर्तते। कदाचित् सामाजिक-सांस्कृतिक- परिदृश्यानां साम्याद् इमानि उक्तोपाधिना प्रथितानि।

हिन्दी अनुवाद – 

स्वरा – (बीच में ही) महोदया! मेरी बहन कहती है कि हमारे देश में अट्ठाईस राज्य हैं। इसके अलावा सात केन्द्रशासित प्रदेश भी हैं।
अध्यापिका – तुम्हारी बहन सही जानती है। ठीक है, क्या तुम सब जानते हो कि इन राज्यों में सात राज्यों का एक समूह है जो सात बहनों के नाम से प्रसिद्ध है।
सभी – (आश्चर्य के साथ एक-दूसरे को देखते हुए) सात बहनें? सात बहनें?
निकोलस – इन राज्यों का नाम सात बहनें है ये इस नाम से क्यों जाने  जाते हैं?
अध्यापिका – यह प्रयोग प्रतीक के रूप में ही है। शायद सामाजिक-सांस्कृतिक-वातावरण की समानता के कारण यह उपर्युक्त नाम से प्रसिद्ध है।

समीक्षा – कौतूहलं मे न खलु शान्तिं गच्छति, श्रावयतु तावद् यत् कानि तानि राज्यानि?
अध्यापिका – शृणुत!
अद्वयं मत्रयं चौव न-त्रि-युक्तं तथा द्वयम्।
सप्तराज्यसमूहोऽयं भगिनीसप्तकं मतम्।।
इत्थं भगिनीसप्तके इमानि राज्यानि सन्ति-अरुणाचलप्रदेशः, असमः, मणिपुरम्, मिजोरमः, मेघालयः, नागालैण्डः, त्रिपुरा चेति। यद्यपि क्षेत्रपरिमाणैः इमानि लघूनि वर्तन्ते तथापि गुणगौरवदृष्ट्या बृहत्तराणि प्रतीयन्ते।
सर्वे – कथम्? कथम्?
अध्यापिका – इमाः सप्तभगिन्यः स्वीये प्राचीनेतिहासे प्रायः स्वाधीनाः एव दृष्टाः। न केनापि शासकेन इमाः स्वायत्तीकृताः। अनेक-संस्कृति-विशिष्टायां भारतभूमौ एतासां भगिनीनां संस्कृतिः महत्त्वाधयिनी इति।

हिन्दी अनुवाद – 

समीक्षा – मेरी जिज्ञासा शान्त नहीं हो रही है, तो बताइए कि वे कौन-से राज्य हैं?
अध्यापिका – सुनो!
‘अ’ से प्रारम्भ होने वाले दो, ‘म’ से आरम्भ होने वाले तीन और ‘न’ एवं ‘त्रि’ से युक्त दो राज्यों को ही सात बहनों के रूप में माना गया है।
इस प्रकार सात बहनों के रूप में ये राज्य हैं – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नागालैण्ड और त्रिपुरा। जबकि क्षेत्रफल के हिसाब से ये छोटे हैं फिर भी गुण और गौरव व महत्वता की दृष्टि से बहुत बड़े प्रतीत होते हैं।
सभी – कैसे? कैसे?
अध्यापिका – ये सातों बहनें अर्थात सातों राज्य अपने प्राचीन इतिहास में प्रायः स्वतंत्र ही देखी गईं हैं। कोई राजा इन्हें अपने अधीन नहीं कर सका था। अनेक संस्कृति की विशेषता से युक्त भारत भूमि में इन बहनों की संस्कृति महत्त्वपूर्ण है।

तन्वी – अयं शब्दः सर्वप्रथमं कदा प्रयुक्तः?
अध्यापिका – श्रुतमधुरशब्दोऽयं सर्वप्रथमं विगतशताब्दस्य द्विसप्ततितमे वर्षे त्रिपुराराज्यस्योद्घाटनक्रमे केनापि प्रवर्तितः। अस्मिन्नेव काले एतेषां राज्यानां पुनः सङ्घटनं विहितम्।
स्वरा – अन्यत् किमपि वैशिष्ट्यमस्ति एतेषाम्?

अध्यापिका – नूनम् अस्ति एव। पर्वत-वृक्ष-पुष्प-प्रभृतिभिः प्राकृतिकसम्पद्भि: सुसमृद्धानि सन्ति इमानि राज्यानि। भारतवृक्षे च पुष्प-स्तबकसदृशानि विराजन्ते एतानि।
राजीवः – भवति! गृहे यथा सर्वाधिका रम्या मनोरमा च भगिनी भवति तथैव भारतगृहेऽपि सर्वाधिका: रम्याः इमाः सप्तभगिन्यः सन्ति।

हिन्दी अनुवाद –

तन्वी – यह शब्द सबसे पहले कब प्रयुक्त हुआ था?
अध्यापिका – सुनने में मधुर लगने वाला यह शब्द सबसे पहले पिछली शताब्दी के बहत्तरवें वर्ष अर्थात 1972 में त्रिपुरा राज्य के उद्घाटन के समय किसी ने प्रयोग किया था। इसी समय इन राज्यों का फिर से गठन हुआ।
स्वरा – इनकी और दूसरी भी कोई विशेषता है?
अध्यापिका – निश्चित रूप से है ही। पहाड़-पेड़ आदि प्राकृतिक सम्पत्तियों से ये राज्य भरे पूरी समृद्ध हैं और भारतवर्ष रूपी वृक्ष पर ये फूलों के गुच्छे की तरह शोभा पा रहे हैं।
राजीव – महोदया जी! जैसे घर में सबसे अधिक प्यारी और मन को अच्छी लगने वाली प्यारी बहन होती है वैसे ही भारतरूपी घर में भी सबसे अधिक प्यारी ये सात बहनें हैं।

अध्यापिका – मनस्यागता ते इयं भावना परमकल्याणमयी परं सर्वे न तथा अवगच्छन्ति। अस्तु, अस्ति तावदेतेषां विषये किञ्चिद् वैशिष्ट्यमपि कथनीयम्। सावहितमनसा शृणुतजनजातिबहुलप्रदेशोऽयम्। गारो-खासी-नगा-मिजो-प्रभृतयः बहवः जनजातीयाः अत्र निवसन्ति। शरीरेण ऊर्जस्विनः एतत्प्रादेशिकाः बहुभाषाभिः समन्विताः, पर्वपरम्पराभिः परिपूरिताः, स्वलीला- कलाभिश्च निष्णाताः सन्ति।
मालती – महोदये! तत्र तु वंशवृक्षा अपि प्राप्यन्ते?

हिन्दी अनुवाद – 

अध्यापिका – तुम्हारी समझ में यह अति कल्याणकारी भावना आ गई परन्तु सभी वैसे नहीं जानते हैं। अर्थात जैसा तुम सोचते हो वैसा सभी  हैं। ठीक है, तो इनके विषय में कुछ विशेषता भी बतानी होगी। एकाग्रचित मन से सुनिए यह प्रदेश जनजातियों से युक्त है। गारो-खासी-नगा-मिजो आदि बहुत-सी जनजातियाँ यहाँ निवास करती हैं। शरीर से शक्तिशाली इस प्रदेश के निवासी बहुत भाषाओं से युक्त अर्थात कई भाषाएँ जानते है। पर्वों की परम्पराओं से भरे हुए, अपनी क्रिया और कलाओं में कुशल हैं।
मालती – महोदया जी! वहाँ तो बाँस के पेड़ भी पाए जाते हैं?
 
अध्यापिका – आम्। प्रदेशेऽस्मिन् हस्तशिल्पानां बाहुल्यं वर्तते। आवस्त्राभूषणेभ्यः गृहनिर्माणपर्यन्तं प्रायः वंशवृक्षनिर्मितानां वस्तूनाम् उपयोगः क्रियते। यतो हि अत्र वंशवृक्षाणां प्राचुर्यं विद्यते। साम्प्रतं वंशोद्योगोऽयं अन्ताराष्ट्रियख्यातिम् अवाप्तोऽस्ति।
अभिनवः – भगिनीप्रदेशोऽयं बह्नाकर्षकः इति प्रतीयते। 
सलीमः – किं भ्रमणाय भगिनीप्रदेशोऽयं समीचीनः?
सर्वे छात्राः – (उच्चैः) महोदये! आगामिनि अवकाशे वयं तत्रैव गन्तुमिच्छामः।
स्वरा – भवत्यपि अस्माभिः सार्द्धं चलतु।
अध्यापिका – रोचते मेऽयं विचारः। एतानि राज्यानि तु भ्रमणार्थं स्वर्गसदृशानि इति।

हिन्दी अनुवाद – 

अध्यापिका – हाँ। इस प्रदेश में हस्तशिल्प कला की बहुतायत में है। वस्त्रों और आभूषणों से लेकर घर को बनाने तक अधिकतर बाँस के वृक्षों से बनी वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। क्योंकि यहाँ बाँस के वृक्षों की
अधिकता है। इस समय यह बाँस का व्यवसाय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रसिद्धि को पा चुका है।
अभिनव – यह बहनों का प्रदेश बहुत सुन्दर प्रतीत होता है।
सलीम – क्या घूमने के लिए यह बहनों का प्रदेश उचित है?
सभी छात्रा – (शोर से) महोदया जी! अगली छुट्टी में हम वहीं जाना चाहते हैं।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!