Ncert solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 11 Savitri Bai Phule Hindi Translate | कक्षा 8 संस्कृत एकादश: पाठ: हिंदी अनुवाद
Ncert solutions for class 8 sanskrit Ruchira Chapter 11 Savitri Bai Phule सावित्री बाई फुले। Here We learn what is in this lesson सावित्री बाई फुले and how to solve questions एनसीइआरटी कक्षा 8 संस्कृत रुचिरा तृतीयो भाग: अष्टमवर्गाय संस्कृतपाठ्यपुस्तकम् एकादश: पाठ: सावित्री बाई फुले का हिंदी अनुवाद और प्रश्न उत्तर सम्मिलित है।
NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit ruchira bhaag tritya paath 11 सावित्री बाई फुले NCERT kaksha 8 sanskrit – Ruchira are part of NCERT Solutions for Class 8 sanskrit Ruchira. Here we have given NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit paath 11 Savitri Bai Phule.
Here we solve ncert solutions for class 8 sanskrit chapter 11 Savitri Bai Phule सावित्री बाई फुले हिंदी अनुवाद और प्रश्नों के उत्तर concepts all questions with easy method with expert solutions. It help students in their study, home work and preparing for exam. Soon we provide NCERT class 8 sanskrit Ruchira chapter 11 Savitri Bai Phule hindi anuvaad aur prashan uttar question and answers. NCERT Solutions Class 8 sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले प्रश्न उत्तर और हिंदी अनुवाद in free PDF। sanskrit book class 8 ncert solutions for 8th Sanskrit book pdf sanskrit book class 8 also available Click Here or you can download official NCERT website. You can also See NCERT Solutions for class 8 Sanskrit all Chapter to Click Here.
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit Ruchira
कक्षा – 8 अष्टमवर्गाय
संस्कृतपाठयपुस्तकम्
एकादश: पाठ: पाठ – 11
सावित्री बाई फुले
संस्कृतपाठयपुस्तकम्
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit सावित्री बाई फुले पाठ अभ्यास: प्रश्न Click Here
NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit सावित्री बाई फुले पाठ का हिंदी अनुवाद।
पाठ का परिचय
उपरि निर्मितं चित्रं पश्यत। इदं चित्रं कस्याश्चित् पाठशालायाः वर्तते। इयं सामान्या पाठशाला नास्ति। इयमस्ति महाराष्ट्रस्य प्रथमा कन्यापाठशाला। एका शिक्षिका गृहात् पुस्तकानि आदाय चलति। मार्गे कश्चित् तस्याः उपरि धूलिं कश्चित् च प्रस्तरखण्डान् क्षिपति। परं सा स्वदृढनिश्चयात् न विचलति। स्वविद्यालये कन्याभिः सविनोदम् आलपन्ती सा अध्यापने संलग्ना भवति। तस्याः स्वकीयम् अध्ययनमपि सहैव प्रचलति। केयं महिला? अपि यूयमिमां महिलां जानीथ? इयमेव महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले नामधेया।
हिन्दी अनुवाद – जनवरी महीने के तीसरे दिन या तारीख सन् 1831 ईस्वी वर्ष में महाराष्ट्र के नायगाँव नामक स्थान पर सावित्री ने जन्म लिया। उनकी माता लक्ष्मीबाई और पिता खंडोजी नाम वाले थे। नौ वर्ष की आयु वाली वह ज्योतिबा फुले जी के साथ ब्याही गईं। वह भी उस समय तेरह वर्ष के आयु वाले थे। क्योंकि वह स्त्रीशिक्षा के प्रबल समर्थक थे इसलिए सावित्री के मन में स्थित पढ़ाई करने की इच्छा बढ़ गई। इससे आगे उन्होंने आग्रहपूर्वक अंग्रेजी भाषा की भी पढ़ाई की।
१८४८ तमे ख्रिस्ताब्दे पुणे नगरे सावित्री ज्योतिबामहोदयेन सह कन्यानां कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयम् आरभत। तदानीं सा केवलं सप्तदशवर्षीया आसीत्। १८५१ तमे ख्रिस्ताब्दे अस्पृश्यत्वात् तिरस्कृतस्य समुदायस्य बालिकानां कृते पृथकतया तया अपरः विद्यालयः प्रारब्ध्ः।
हिन्दी अनुवाद – सन् 1848 ईस्वी वर्ष में पुणे नगर में सावित्री ने ज्योतिबा जी के साथ लड़कियों के लिए राज्य का पहला विद्यालय प्रारम्भ किया। उस समय वह केवल सत्रह साल की थी। सन् 1851 ईस्वी वर्ष में छुआछूत के कारण अपमानित किए गए समूह की लड़कियों के लिए अलग से उन्होंने दूसरा विद्यालय आरम्भ किया।
हिन्दी अनुवाद – सामाजिक समाज से सम्बंधित बुराइयों का सावित्री ने शोर-शोर से विरोध किया। विधवाओं के सिरों को मुंडवाने की प्रथा के निराकरण के लिए वह स्वयं नाइयों से मिलीं। फलस्वरूप कुछ नाइयों ने इस रिवाज में अपनी भागीदारी छोड़ दी। एक बार सावित्री ने देखा कि कुएँ के पास फटे हुए वस्त्रों में लिपटी कथित नीची जाति की कुछ स्त्रियाँ पानी पीने के लिए माँग रही थीं। ऊँची जाति की स्त्रियाँ मज़ाक करती हुई कुएँ से पानी पिलाने को मना कर रही थीं। सावित्री इस अपमान को सह न सकी। वह उन स्त्रियों को अपने घर ले आई और तालाब दिखाकर कहा कि इच्छानुसार पानी ले जाओ। यह तालाब सब लोगों के लिए है। यहाँ से पानी लेने में जाति का कोई बंधन नहीं है। उन्होंने मनुष्यों की समानता और स्वतंत्रता के पक्ष का समर्थन हमेशा पूरी तरह से किया।
‘महिला सेवामण्डल’ ‘शिशुहत्याप्रतिबंधकगृहं’ इत्यादीनां संस्थानां स्थापनायां फूलेदम्पत्योः अवदानं महत्वपूर्णम्। सत्यशोधकमण्डलस्य गतिविधिषु अपि सावित्री अतीव सक्रिया आसीत्। अस्य मण्डलस्य उद्देश्यम् आसीत् उत्पीडितानां समुदायानां स्वाधिकारान् प्रति जागरणम् इति।
हिन्दी अनुवाद – ‘महिला सेवा मंडल’, ‘शिशुहत्या प्रतिबंधक गृह’ आदि संस्थाओं की स्थापना में फूले दम्पती का योगदान महत्त्वपूर्ण है। सत्यशोधक मंडल की गतिविधियों में भी सावित्री बहुत सक्रिय थीं।थीं इस मंडल का उद्देश्य पीड़ित समुदायों को अपने अधिकारों के प्रति जगाना था।
हिन्दी अनुवाद – सावित्री ने अनेक संस्थाओं को अपने निर्देशन की कुशलता से संचालित किया। अकाल के समय और प्लेग के समय उन्होंने पीड़ित लोगों की बिना थके और लगातार सेवा की। सहायता की वस्तुओं की व्यवस्था के लिए पूरा प्रयास किया। महारोग प्लेग के फैलाव के समय में सेवा में लगी हुई वे स्वयं इस महामारी से पीड़ित हो गईं और सन् 1897 ईo वर्ष में मृत्यु को प्राप्त हो गईं।
हिन्दी अनुवाद – साहित्य रचना में भी सावित्री बढ़-चढ़ कर आगे हैं। उनके दो काव्य संग्रह हैं – ‘काव्य फूले’ और ‘सुबोध् रत्नाकर’। भारत देश में महिलाओं के उत्थान की स्थिति को गहराई से समझने के लिए सावित्री जी का जीवन परिचय अवश्य पढ़ना चाहिए।
????