Ncert solutions for class 8 sanskrit Ruchira Chapter 10 Nitinavneetam Hindi Translate | कक्षा 8 संस्कृत दशम: पाठ: हिंदी अनुवाद

Ncert solutions for class 8 sanskrit Ruchira Chapter 10 nitinavneetam नीतिनवनीतम् अर्थात नीति के श्लोक। Here We learn what is in this lesson सप्तभगिन्यः and how to solve questions एनसीइआरटी कक्षा 8 संस्कृत रुचिरा तृतीयो भाग: अष्टमवर्गाय संस्कृतपाठ्यपुस्तकम् दशम: पाठ: नीतिनवनीतम् का हिंदी अनुवाद और प्रश्न उत्तर सम्मिलित है।
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NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit Ruchira

कक्षा – 8 अष्टमवर्गाय
संस्कृतपाठयपुस्तकम्
दशम: पाठ: पाठ – 10
नीतिनवनीतम्
संस्कृतपाठयपुस्तकम्

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NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 8 Sanskrit नीतिनवनीतम् पाठ का हिंदी अनुवाद नीति के श्लोक।

पाठ परिचय

[प्रस्तुत पाठ “मनुस्मृति’ के कतिपय श्लोकों का संकलन है जो सदाचार की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यहाँ माता-पिता तथा गुरुजनों को आदर और सेवा से प्रसन्न करने वाले अभिवादनशील मनुष्य को मिलने वाले लाभ की चर्चा की गई है। इसके अतिरिक्त सुख-दुख में समान रहना, अन्तरात्मा को आनन्दित करने वाले कार्य करना तथा इसके विपरीत कार्यों को त्यागना, सम्यक् विचारोपरान्त तथा सत्यमार्ग का अनुसरण करते हुए कार्य करना आदि शिष्टाचारों का उल्लेख भी किया गया है।]

अभिवादनशीलस्य नित्य॑ वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम् ॥1॥
अन्वय: अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन: (च) तस्य चत्वारि – आयु:, विद्या, यशः बलम् (च) वर्धन्ते।
हिन्दी अनुवाद – जो व्यक्ति अपने से बड़ों को नित्य प्रणाम करता है तथा वृद्ध व्यक्तियों की सेवा करता है, उस व्यक्ति की आयु, विद्या, यश और बल, ये चार अपने-आप बढ़ती हैं।

यं मातापितरौ क्लेशं सहेते सम्भवे नृणाम्।
न तस्य निष्कृति: शक्या कर्तु वर्षशतैरपि ॥2॥
अन्वय: मातापितरौ नृणा सम्भवे यं क्‍लेशं सहेते, तस्य (क्लेशस्य) निष्कृति: वर्षशतैरपि न कर्तु शक्या।
हिन्दी अनुवाद – मनुष्य के जन्म के समय जो कष्ट माता-पिता सहते हैं, उस कष्ट का बदला सौ वर्षों में भी नहीं किया चुकाया जा सकता।

तयोर्नित्यं प्रियं कुर्यादाचार्यस्थ च सर्वदा।
तेष्वेव त्रिषु तुष्टेषु तप: सर्व समाप्यते ॥3॥

अन्वयः नित्यं तयोः (मातपित्रो:)आचार्यस्य च॒ सर्वदा प्रियं कुर्यात्, तेषु त्रिषु एव तुष्टेषु (अस्माक) सर्व तपः समाप्यते।
हिन्दी अनुवाद – उन दोनों अर्थात माता-पिता और गुरु का सदैव प्रिय या प्रेम करना चाहिए। उन तीनों के संतुष्ट होने पर हमारी सभी तपस्याएँ समाप्त हो जाती हैं। अर्थात् हमें हमारी सभी तपस्याओं का फल मिल जाता है।

सर्व परवशं दुः खं सर्वमात्मवशं सुखम्॥
एतद्विद्यात्समासेन लक्षणं सुखदुः खयो: ॥4॥
अन्वय: सर्व परवशं दुःखम् (अस्ति), सर्वम् आत्मवशं सुखम् (अस्ति), एतत् सुखदुः खयोः एतत् लक्षणं विद्यात्।
हिन्दी अनुवाद – सब कुछ अपने वश में होना सुख है और सब कूछ दूसरे के वश में होना दुख है। हमें संक्षेप में सुख और दुख का यही लक्षण जानना चाहिए।
 
यत्कर्म कुर्वतोऽस्य स्यात्परितोषोऽन्तरात्मन:।
तत्प्रयल्लेन कुर्वीत विपरीतं तु वर्जयेत् ॥5॥
अन्वय: यत् कर्म कुर्वततः अस्य अन्तरात्मनः परितोषो स्यात् तत् (कर्म) प्रयत्नेन कुर्वीत। विपरीतं (कर्म) तु वर्जयेत् |
हिन्दी अनुवाद – जिस कार्य को करते हुए हमारी अन्तरात्मा को संतुष्टि मिलती हो, उसे प्रयत्नपूर्व्क करना चाहिए। इसके विपरीत अर्थात जिस कार्य में हमें संतुष्टि नहीं मिलती उस कर्म को त्याग देना चाहिए। 
 
दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतां वदेद्वाचं मन: पूतं समाचरेत् ॥6॥
अन्वय: दृष्टिपूतं पादं न्यसेत्, वस्त्रपूतं जलं पिबेत्। सत्यपूतां वाचं वदेतु, मनः पूतं समाचरेत्।
हिन्दी अनुवाद – दृष्टि द्वारा पवित्र करने के बाद पैर रखना चाहिए, वस्त्र के द्वारा पवित्र करके जल पीना चाहिए, सत्य के द्वारा पवित्र करके वाणी बोलनी चाहिए तथा मन के द्वारा पवित्र करके आचरण करना चाहिए।

2 thoughts on “Ncert solutions for class 8 sanskrit Ruchira Chapter 10 Nitinavneetam Hindi Translate | कक्षा 8 संस्कृत दशम: पाठ: हिंदी अनुवाद

  • December 7, 2021 at 5:22 pm
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    Thanks thanks thanks

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  • January 12, 2023 at 7:54 am
    Permalink

    Thanks for translation of Sanskrit it is very useful

    Reply

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