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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 Netaji ka Chashma | कक्षा 10 पाठ 10 नेताजी का चश्मा

NCERT solutions for class 10 Hindi Kshitij chapter 10 free question and answers given in this section. Netaji ka Chashma  नेताजी का चश्मा कहानी के माध्यम से लेखक ने देश एवं देश प्रेम का महत्व बताया है सबसे प्रेम करने तथा इनकी समृद्धि के लिए प्रयास करने का नाम देशभक्ति है। इस कहानी में बताया गया है कि बड़े ही नहीं अपितु बच्चे भी हैं देश निर्माण में शामिल है। class 10 Hindi kshitij chapter 10 question answer  available free in eteacherg.com। Here We learn what is in this lesson in Hindi class 10 hindi chapter 10 solutions Netaji ka Chashma and how to solve questions एनसीइआरटी class 10 Hindi kshitij chapter 10 question answer.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 Netaji ka Chashma नेताजी का चश्मा
Source Ncert Book

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NCERT SOLUTIONS FOR CLASS 10 HINDI KSHITIJ CHAPTER 10
Class 10 Hindi Chapter 10 Question Answer

Netaji Ka Chashma
कक्षा – 10

पाठ – 10
हिंदी
नेताजी का चश्मा

Ncert Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 10 Netaji Ka Chashma Questions and Answers
नेताजी का चश्मा पाठ के प्रश्न-उत्तर

अभ्यास:

1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टेन क्यों कहते थे?
उत्तर – चश्मेवाला कोई सेनानी नहीं था किन्तु उसके ह्रदय में देशभक्ति की भावना थी। इसके साथ-साथ वह सभी देशभक्तों का सम्मान करता था। जब उसने सुभाष चंद्र के प्रतिमा पर चश्मा नहीं देखी तो वह दुःखी हुआ और उसने अपनी तरफ से सुभाष चंद्र की प्रतिमा पर चश्मा लगा दिया। अतः लोग उसे कैप्टेन कहते थे।

2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में रोकने को कहा –
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे को चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर – (क) जब हालदार साहब को ये मालूम चला कि कैप्टन कि मृत्यु हो गयी। अब मूर्ति को चश्मा पहनाने वाला कोई नहीं रहा और मूर्ति बिना चश्मे के ही रहेगी। यह सोचकर हालदार साहब पहले मायूस हुए।
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा ये उम्मीद जगाता है कि अभी तक देश में देशभक्ति ख़त्म नहीं हुई है। कैप्टन की मृत्यु के बाद मूर्ति पर चश्मा लगाने का जिम्मा किसी ओर ने ले लिए फिर चाहे वो गरीब ही क्यों न हो।
(ग) जब उन्होंने मूर्ति के सरकंडे का चश्मा देखा तो उनके मन में आशा जागी कि आज भी देश के गाँव-गाँव में देशभक्ति जीवित है। देश की नै पीढ़ी में देश-प्रेम जीवित है। इस ख़ुशी ओर आशा से वे भावुक हो उठे।

3. आशय स्पष्ट कीजिए –
“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढती है।”
उत्तर – देशभक्तों ने देश को आजादी दिलवाने के लिए अपना घर, अपनी जिंदगी सब कुछ न्योछावर कर दिए है। परंतु दुःख की बात है की देशभक्ति की भावना अब केवल किताबों तक ही सीमित रह गई है। बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना को विकसित करने की जिम्मेदारी केवल विद्यालयों पर ही छोड़ दिया गया है। आज जिन देशभक्तों के कारण हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं, यदि किसी के मन में ऐसे देश भक्तों के लिए सम्मान की भावना नहीं है, यह देश भक्तों पर हंसते हैं तो यहां बड़े दुख की बात है। लेखक ने ऐसे लोगों पर अपना गुस्सा व्यक्त किया है।

4. पान वाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर – पानवाला पूरी तरह पान की दुकान है। वहां काला तथा मोटा है, उसके तोंद भी निकली है, उसके सिर पर गिने चुने बाल ही बचे हैं। पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं  काले पड़ गए हैं। स्वभाव से वह मजाकिया है, और बातें बनाने में माहिर है। पानवाला खुशमिजाज आदमी था वह लाल-काली बत्तीसी दिखाकर बातें करता था। उसके मुंँह में हमेशा एक पान जरूर रहता था।

5. ” वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर – “वह लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल !” पानवाला कैप्टन चश्मेवाले के बारे में कुछ ऐसी ही घटिया सोच रखता है। वास्तव में कैप्टन इस तरह की उपेक्षा का पात्र नहीं है। उसका इस तरह मजाक उड़ाना तनिक भी उचित नहीं है। वास्तव में कैप्टन उपहास का नहीं सम्मान का पात्र है जो अपने अति सीमित संसाधनों से नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर देशप्रेम का प्रदर्शन करता है और लोगों में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करने के अलावा प्रगाढ़ भी करता है।

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रचना और अभिव्यक्ति

6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं –
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुए बोला–साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बारे मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर-
(क) हालदार साहब अपने कर्म के प्रति सजग तथा पान खाने के शौकीन थे। उनके मन में शहीदों और देशभक्तों के प्रति आदर की भावना थी। नेताजी की मूर्ति को रुककर ध्यान से देखना तथा चश्माविहीन मूर्ति को देखकर आहत होना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। नेताजी को पहनाए गए चश्मे के माध्यम से वे कैप्टन की देशभक्ति को देखकर खुश होते थे और उसके लिए उनके मन में श्रद्धा थी। वे चाहते हैं कि युवा पीढ़ी में यह भावना और भी प्रबल हो।
(ख) पानवाला प्रायः कैप्टन चश्मेवाले का उपहास उड़ाया करता था, जिससे ऐसा लगता था कि उसके अंदर देशभक्ति का भाव नहीं है पर जब कैप्टन मर जाता है, तब उसके देशप्रेम की झलक मिलती है। वह कैप्टन जैसे व्यक्ति की मृत्यु से दुखी होकर हालदार को उसकी मृत्यु की सूचना देता है। पानवाले के ह्रदय में कैप्टन के प्रति गहरी आत्मीयता की भावना थी। कहीं-न-कहीं उसके मन में भी कैप्टन की देशभक्ति के लिए श्रद्धा थी, जिस कारण कैप्टन के मर जाने पर वह दुखी हो गया। इस घटना से पानवाले की संवेदनशीलता और देशप्रेम की भावना का पता चलता है।
(ग) कैप्टने भले ही शारीरिक रूप से फ़ौजी व्यक्तित्व वाला न रही हो पर मानसिक रूप से वह फ़ौजियों जैसी ही मनोभावना रखता था। उसके हृदय में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना कूट-कूटकर भरी थी। नेताजी की चश्माविहीन मूर्ति देखकर वह आहत होता था और उस कमी को पूरा करने के लिए अपने सीमित संसाधनों से भी चश्मा लगा दिया करता था ताकि नेताजी का व्यक्तित्व अधूरा न दिखे।

7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर – जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात रूप से नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन का व्यक्तित्व एक फ़ौजी व्यक्ति ‘ जैसा रहा होगा जो लंबे कदवाला मजबूत कद-काठी वाला हट्टा-कट्टा दिखता होगा। उसका चेहरा रोबीला तथा घनी मूंछों वाला रहा होगा। वह अवश्य ही नेताजी की फ़ौज का सिपाही रहा होगा। वह हर कोण से फ़ौजियों जैसा दिखता होगा।

8. कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है –
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों ?
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर – 
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
समाज सेवा, देश सेवा या ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों की मूर्ति प्रायः कस्बों, चौराहों, महानगरों या शहरों में लगाई जाती हैं। ऐसी मूर्तियाँ लगाने का उद्देश्य सजावटी न होकर उद्देश्यपूर्ण होता
लोग ऐसे लोगों के कार्यों को जाने तथा उनसे प्रेरित हों।
लोगों में अच्छे कार्य करने की रुचि उत्पन्न हो और वे उसके लिए प्रेरित हों।
लोग ऐसे लोगों को भूलें न तथा उनकी चर्चा करते हुए युवा पीढ़ी को भी उनसे परिचित कराएँ।

(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
मैं अपने इलाके के चौराहे पर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगवाना चाहूँगा ताकि लोगों विशेषकर युवावर्ग को अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा मिले। वे अपनी मातृभूमि पर आंच न आने दें और अपने जीते जी देश को गुलाम होने से बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाने से भी न हिचकिचाएँ। इसके अलावा युवाओं में देश-प्रेम और देशभक्ति की भावना बलवती रहे।

(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
चौराहे या कस्बे में लगी समाज सेवी या अन्य उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति की प्रतिमा के प्रति हमारा तथा अन्य लोगों का यह उत्तरदायित्व होना चाहिए कि हम मूर्ति एवं उसके आस-पास की साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखें व उसे खंडित न होने दें। उस हस्ती के कार्यों की चर्चा की जाए तथा कार्यों की वर्तमान में प्रासंगिकता बताते हुए उनसे प्रेरित होने के लिए लोगों से कहें। मूर्ति के प्रति सम्मान भाव बनाए रखें।

9. सीमा पर तैनात फौजी ही देश प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे – सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर – हम निम्नलिखित कार्य करके अपनी देशभक्ति का परिचय दे सकते हैं –
1. सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान ना पहुंचा कर
2. अपने अपने कार्यों का आदर्श ढंग से कर
3. अपने पर्यावरण की रक्षा करके
4. प्राकृतिक संसाधनों का मितव्ययता पूर्वक उपयोग करके
5. जरूरतमंद लोगों की मदद करके

9.निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए –
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला चौखट दे दिया।
उत्तर – 

स्थानीय भाषा मानक हिंदी
1.कोई गिराक आ गया समझो। मान लो कोई ग्राहक आ गया।
2.उसको चौड़े चौखट चाहिए। उसे चौड़ा फ्रेम चाहिए
3.तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो कैप्टन कहाँ से लाएगा?
4.तो उसको मूर्तिवाला चौखट दे दिया। तो उसे मूर्तिवाला फ्रेम दे दिया।

11. ‘भई खूब! क्या आइडिया है। इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?
उत्तर – एक भाषा के शब्द जब ज्यों के त्यों दूसरी भाषा में आते हैं तो इससे भाषा सरल, सहज और बोधगम्य बनती है। वह अधिकाधिक लोगों द्वारा प्रयोग और व्यवहार में लाई जाती है। कुछ ही समय में ये शब्द उसी भाषा के बनकर रह जाते हैं।

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भाषा अध्ययन

12. निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए –
(क) नगर पालिका थी तो कुछ ना कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी समझ नहीं पाए।
(ड) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कल्बे से गुजरते रहे।
उत्तर –
(क) नगर पालिका थी तो कुछ ना कुछ करती भी रहती थी।
निपात – तो, भी
वाक्य – हम तो आज दिल्ली जाएँगे।  
हमारे साथ तुम भी चलना।

(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
निपात – ही
वाक्य – हम ही मैच खेलेगें।

(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
निपात – तो
वाक्य – मेरे पास औजार तो है लेकिन किसी काम के नहीं है।

(घ) हालदार साहब अब भी समझ नहीं पाए।
निपात – भी
वाक्य – आप भी जम्मू से हो।

(ड) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरते रहे।
उत्तर – तक
वाक्य – तुम्हे वहां तक नहीं जाना था।

13. निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –
(क) वह अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमो मे से नेता जी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
(ख) पान वाला नया पान खा रहा था।
(ग) पान वाले ने साफ बता दिया था।
(घ) ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे।
(ड) नेता जी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया।

उत्तर –
(क) वह अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमो मे से नेता जी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
उसके द्वारा अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध गिने-चुने फ्रेमो में से एक नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।

(ख) पान वाला नया पान खा रहा था।
पान वाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था।

(ग) पान वाले ने साफ बता दिया था।
पान वाले द्वारा साफ बता दिया गया था।

(घ) ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे।
ड्राइवर द्वारा जोर से ब्रेक मारे गए।

(ड) नेता जी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
नेता जी द्वारा देश के लिए सब कुछ त्याग दिया गया।

(च) हालदार साहब ने चश्मे वाले की देश भक्ति का सम्मान किया।
हालदार साहब द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।

14. नीचे लिखे वाक्यों को भाव वाच्य में बदलिए –
जैसे अब चलते हैं। – अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर –
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
मां से बैठा नहीं जाता।

(ख) मैं देख नहीं सकती।
मुझसे देखा नहीं जाता।

(ग) चलो, अब सोते हैं।
चलो, अब सोया जाए।

(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
मां से रोया नहीं जाता।

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