NCERT Solutions Class 8 Sanskrit Chapter 10 Nitinavneetam | कक्षा 8 संस्कृतम् दशम: पाठ: नीतिनवनीतम् प्रश्न उत्तर class8 sanskrit
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NCERT Solutions Class 8 Sanskrit Chapter 10 Nitinavneetam
Ruchira bhaag tritya class8 sanskrit
कक्षा – 8 अष्टमवर्गाय
संस्कृतपाठयपुस्तकम्
दशम: पाठ: पाठ – 10
नीतिनवनीतम्
8 की संस्कृत पुस्तक दशमकक्षाया: संस्कृतपाठ्यपुस्तकम् रुचिरा तृतीयो भाग: दशम: पाठ: नीतिनवनीतम् का हिंदी अनुवाद Click Here
अभ्यास: |
1. अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(क) नृणां संभवे कौ क्लेशं सहेते?
उत्तरम् – मातापितरौ
(ख) कीदृशं जलं पिबेत्?
उत्तरम् – वस्त्रपूतम्
(ग) नीतिनवनीतम् पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलित?
उत्तरम् – मनुस्मृतेः
(घ) कीदृशीं वाचं वदेत्?
उत्तरम् – सत्यपूताम्
(ङ) उद्यानम् कैः निनादैः रम्यम्?
उत्तरम् – मृगगणद्विजैः
(च) दु:खं किं भवति?
उत्तरम् – परवशम्
(छ) आत्मवशं किं भवति?
उत्तरम् – सुखम्
(ज) कीदृशं कर्म समाचरेत्?
उत्तरम् – मन:पूतम्
2. अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत –
(क) पाठेऽस्मिन् सुखदु:खयोः किं लक्षणम् उक्तम्?
उत्तरम् – परवशं दु:खम्, आत्मवशं सुखम्।
(ख) वर्षशतैः अपि कस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या?
उत्तरम् – वर्षशतैः अपि मातापितरौ नृणां सम्भवे यं क्लेशं सहेते तस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या।
(ग) “त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते” – वाक्येऽस्मिन् त्रयः के सन्ति?
उत्तरम् – “त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते- वाक्येऽस्मिन त्रयः माता-पिता-आचार्याः सन्ति।
(घ) अस्माभिः कीदृशं कर्म कर्तव्यम्?
उत्तरम् – यत् कर्म कुर्वतः अस्य आत्मनः परितोष: स्यात् तत् कर्म अस्माभिः कर्तव्यम्।
(ङ) अभिवादनशीलस्य कानि वर्धन्ते?
उत्तरम् – अभिवादशीलस्य आयुः, विद्या, यशः बलञ्च एतानि चत्वारि वर्धन्ते।
(च) सर्वदा केषां प्रियं कुर्यात्?
उत्तरम् – सर्वदा माता-पिता-आचार्याणां प्रियं कुर्यात्।
3. स्थूलपदान्यवलम्बय प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(क) वृद्धोपसेविनः आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते।
उत्तरम् – कस्य आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते?
(ख) मनुष्य सत्यपूतां वाचे वदेत्।
उत्तरम् – मनुष्यः कीदृशीम् वाचे वदेत्?
(ग) त्रिषु तुष्टेषु सर्वं तपः समाप्यते।
उत्तरम् – त्रिषु तुष्टेषु सर्वं किम् समाप्यते?
(घ) मातापितारौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते।
उत्तरम् – कौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते?
(ङ) तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्।
उत्तरम् – कयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्?
4. संस्कृतभाषयां वाक्यप्रयोगं कुरुत –
(क) विद्या | (ख) तपः | (ग) समाचरेत् | (घ) परितोषः | (ङ) नित्यम् |
उत्तरम् –
(क) विद्या – विद्या मनुष्यस्य बलम् अस्ति।
(ख) तपः – पित्रोः सेवा एव तपः अस्ति।
(ग) समाचरेत् – सर्वथा प्रियं समाचरेत्।
(घ) परितोष: – परितोषः मनुष्यस्य धनम् अस्ति।
(ङ) नित्यम् – नित्यं सत्यं वदेत्।
5. शुद्धवाक्यानां समक्षम् आम् अशुद्धवाक्यानां समक्षं च नैव इति लिखत –
(क) अभिवादनशीलस्य किमपि न वर्धते।
(ख) मातापितरौ नृणां सम्भवे कष्टं सहेते।
(ग) आत्मवशं तु सर्वमेव दु:खमस्ति।
(घ) येन पितरौ आचार्यः च सन्तुष्टाः तस्य सर्वं तपः समाप्यते।
(ङ) मनुष्यः सदैव मनः पूतं समाचरेत्।
(च) मनुष्यः सदैव तदेव कर्म कुर्यात् येनान्तरात्मा तुष्यते।
उत्तरम् –
(क) अभिवादनशीलस्य किमपि न वर्धते।
उत्तरम् – नैव
(ख) मातापितरौ नृणां सम्भवे कष्टं सहेते।
उत्तरम् – आम्
(ग) आत्मवशं तु सर्वमेव दु:खमस्ति।
उत्तरम् – नैव
(घ) येन पितरौ आचार्यः च सन्तुष्टाः तस्य सर्वं तपः समाप्यते।
उत्तरम् – आम्
(ङ) मनुष्यः सदैव मनः पूतं समाचरेत्।
उत्तरम् – आम्
(च) मनुष्यः सदैव तदेव कर्म कुर्यात् येनान्तरात्मा तुष्यते।
उत्तरम् – आम्
6. समुचितपदेन रिक्तस्थानानि पूरयत –
(क) मातापित्रे: तपसः निष्कृति ……………… कर्तुमशक्या। (दशवर्षेरपि/षष्टिः वर्षेरपि/वर्षशतैरपि)।
(ख) नित्यं वृद्धोपसेविन: ……………… वर्धन्ते (चत्वारि/पञ्च/षट्)।
(ग) त्रिषु तुष्टेषु ……………… सर्वं समाप्यते (जप:/तप/कर्म)।
(घ) एतत् विद्यात् ………….. लक्षणं सुखदु:पयोः। (शरीरेण/समासेन/विस्तारेण)
(ङ) दृष्टिपूतम् न्यसेत् …………..। (हस्तम्/पादम्/मुखम्)
(च) मनुष्यः मातापित्रो: आचार्यस्यय च सर्वदा ………….. कुर्यात्। (पियम्/अप्रियम्/अकार्यम्)
उत्तरम् –
(क) मातापित्रे: तपसः निष्कृति वर्षशतैरपि कर्तुमशक्या। (दशवर्षेरपि/षष्टिः वर्षेरपि/वर्षशतैरपि)।
(ख) नित्यं वृद्धोपसेविन: चत्वारि वर्धन्ते (चत्वारि/पञ्च/षट्)।
(ग) त्रिषु तुष्टेषु तप सर्वं समाप्यते (जप:/तप/कर्म)।
(घ) एतत् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदु:पयोः। (शरीरेण/समासेन/विस्तारेण)
(ङ) दृष्टिपूतम् न्यसेत् पादम्। (हस्तम्/पादम्/मुखम्)
(च) मनुष्यः मातापित्रो: आचार्यस्यय च सर्वदा प्रियम् कुर्यात्। (पियम्/अप्रियम्/अकार्यम्)
7. मञ्जूषातः चित्वा उचिताव्ययेन वाक्यपूर्ति कुरुत –
तावत् | अपि | एव | यथा | नित्यं | यादृशम् |
(क) तयोः ………….. प्रियं कुर्यात्।
(ख) ………….. कर्म करिष्यसि। तादृशं फलं प्राप्स्यसि।
(ग) वर्षशतैः ………….. निष्कृति: न कर्तुं शक्या।
(घ) तेषु ………….. त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते।
(ङ) ………….. राजा तथा प्रजा।
(च) यावत् सफलः न भवति ………….. परिश्रमं कुरु।
उत्तरम् –
(क) तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्।
(ख) यादृशम् कर्म करिष्यसि। तादृशं फलं प्राप्स्यसि।
(ग) वर्षशतैः अपि निष्कृति: न कर्तुं शक्या।
(घ) तेषु एवं त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते।
(ङ) यथा राजा तथा प्रजा।
(च) यावत् सफलः न भवति तावत् परिश्रमं कुरु।