NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 5 Hindi Translate | पञ्चम: पाठ: पण्डिता रमाबाई हिंदी अनुवाद
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कक्षा – 7 सप्तमवर्गाय संस्कृतपाठयपुस्तकम्
पञ्चम: पाठ: पाठ – 5
पण्डिता रमाबाई
ncert solutions for class 7 sanskrit Ruchira Chapter 5 Hindi Translate
पण्डिता रमाबाई पाठ का हिंदी अनुवाद।
स्त्रीशिक्षाक्षेत्रे अग्रगण्या पण्डिता रमाबाई 1858 तमे ख्रिष्टाब्दे जन्म अलभत। तस्या: पिता अनन्तशास्त्री डोंगरे माता च लक्ष्मीबाई आस्ताम्। तस्मिन् काले स्त्रीशिक्षायाः स्थितिः चिन्तनीया आसीत्। स्त्रीणां कृते संस्कृतशिक्षणं प्रायः प्रचलितं नासीत्। किन्तु डोंगरे रूढिबद्धां धारणां परित्यज्य स्वपत्नीं संस्कृतमध्यापयत्। एतदर्थं सः समाजस्य प्रतारणाम् अपि असहत। अनन्तरं रमा अपि स्वमातुः संस्कृतशिक्षां प्राप्तवती।
हिन्दी अनुवाद
स्त्री के शिक्षा के क्षेत्र में अग्राणी पण्डिता रमाबाई ने सन 1858 ईस्वी में जन्म लिया। उनके पिता अनन्तशास्त्री डोंगरे तथा माता लक्ष्मीबाई थी। उस समय स्त्री की शिक्षा की दशा चिंता करने वाली थी। स्त्रियों के लिए संस्कृत शिक्षा प्रायः प्रचलित नहीं थी। परन्तु डोंगरे ने प्रथाओं में जकड़े विचारों को छोड़कर कर अपनी पत्नी को संस्कृत पढाया। इसके लिए उनको समाज की ताड़ना भी सहनी पड़ी । बाद में रमा ने भी अपनी माता से संस्कृत की शिक्षा को प्राप्त किया।
कालक्रमेण रमायां पिता विपन्नः सञ्जातः। तस्याः पितरौ ज्येष्ठा भगिनी च दुर्भिक्षपीडिताः दिवङ्गताः। तदनन्तरं रमा स्व – ज्येष्ठभ्रात्रा सह पद्भ्यां समग्रं भारतम् अभ्रमत्। भ्रमणक्रमे सा कोलकातां प्राप्ता। संस्कृतवैदुष्येण सा तत्र ‘पण्डिता’ ‘सरस्वती’ चेति उपाधिभ्यां विभूषिता। तत्रैव सा ब्रह्मसमाजेन प्रभाविता वेदाध्ययनम् अकरोत्। पश्चात् सा स्त्रीणां कृते वेदादीनां शास्त्राणां शिक्षायै आन्दोलनं प्रारब्धवती।
हिन्दी अनुवाद
समय बीतने के साथ रमा के पिता निर्धन हो गए। उनके माता – पिता और बड़ी बहन अकाल पीड़ित (असामयिक बीमार) होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए। तत्पश्चात् रमा ने अपने बड़े भाई के साथ सम्पूर्ण भारत का पैदल भ्रमण किया। भ्रमण करते हुए वह वहाँ ‘पण्डिता’ और ‘सरस्वती’ उपाधियों से विभूषित हुई। वहीँ उन्होनें ब्रह्म समाज से प्रभावित होकर वेदों का अध्ययन किया। तत्पश्चात उन्होनें स्त्रियों के लिए वेदों और शास्त्रों आदि की शिक्षा के लिए आन्दोलन आरंभ किया।
1880 तमे ख्रिष्टाब्दे सा विपिनबिहारीदासेन सह बाकीपुर – न्यायालये विवाहम् अकरोत्। सार्धेकवर्षात् अनन्तरं तस्याः पतिः दिवङ्गतः।
तदनन्तरं सा पुत्र्या मनोरमया सह जन्मभुमिं महाराष्ट्रं प्रत्यागच्छत्। नारीणां सम्मानाय शिक्षायै च सा स्वकीयं जीवनम् अर्पितवती। हण्टर – शिक्षा – आयोगस्य समक्षं नारीशिक्षाविषये सा स्वमतं प्रस्तुतवती। सा उच्चशिक्षार्थम् इंगलैडदेशं गतवती। तत्र ईसाईधर्मस्य स्त्रीविषयकैः उत्तमविचारैः प्रभाविता जाता।
हिन्दी अनुवाद
सन् 1880 ईस्वी में उन्होने विपिन बिहारी दास के साथ बाकीपुर में विवाह किया। डेढ वर्ष बाद अपने पुत्र के साथ जन्मभूमि महाराष्ट्र लौट आई। स्त्रियों के सम्मान व शिक्षा के लिए उन्होनें अपना जीवन अर्पित कर दिया। हण्टर शिक्षा आयोग के सामने उन्होनें नारी शिक्षा के विषय में अपना मत प्रस्तुत किया। वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गई । वहाँ स्त्री के विषय में ईसाई धर्म के उत्तम विचारो से प्रभावित हुई।
इंग्लैण्डदेशात् रमाबाई अमरीकादेशम् अगच्छत्। तत्र सा भारतस्य विधवास्त्रीणां सहायतार्थम् अर्थसञ्ञयम् अकरोत्। भारतं प्रत्यागत्य मुम्बईनगरे सा ‘शारदा – सदनम्’ अस्थापयत्। अस्मिन् आश्रमे निस्सहायाः स्त्रियः निवसन्ति स्म। तत्र स्त्रियः मुद्रण – टङ्कण – काष्ठकलादीनाञ्च प्रशिक्षणमपि लभनते स्म। परम् इदं सदनं पुणेनगरे स्थानान्तरितं जातम्। ततः पुणेनगरस्य समीपे केडगाँव – स्थाने ‘मुक्तिमिशन’ नाम संस्थानं तया स्थापितम्। अत्र अधुना अपि निराश्रिताः स्त्रियः ससम्मानं जीवनं यापयन्ति।
हिन्दी अनुवाद
इंग्लैड देश से रमाबाई अमेरिका देश को गई। वहाँ उन्होंने भारत की विधवा स्त्रियों की सहायता के लिए धन एकत्रित किया। भारत को लौटकर मुंबई शहर में उन्होने ‘शारदा – सदन’ की स्थापना की। इस आश्रम में लाचार स्त्रियाँ रहता थीं। वहाँ स्त्रियाँ छपाई, टाइप तथा लकड़ी की कलाकारी आदि का प्रशिक्षण भी प्रापत करती थीं। परन्तु यह सदन पुणे नगर में स्थानान्तरित हो गया। यहाँ अब भी बेसहारा स्त्रियाँ सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करती हैं।
1922 तमे ख्रिष्टाब्दे रमाबाई – महोदयायाः निधनम् अभवत्। सा देश – विदेशानाम् अनेकासु भाषासु निपुणा आसीत्। समाजसेवायाः अतिरिक्तं लेखनक्षेत्रे अपि तस्याः महत्तवपूर्णम् अवदानम् अस्ति्। ‘स्त्रीधर्मनीति’ ‘हाई कास्ट हिन्दूविमेन’ इति तस्याः प्रसिद्धं रचनाद्वयं वर्तते।
हिन्दी अनुवाद
सन् 1922 ईस्वी में रमाबाई महोदया की मृत्यु हो गई। वह देश – विदेश की अनेक भाषाओं में दक्ष थी। समाज सेवा के अतिरिक्त लेखन के क्षेत्र में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है। ‘स्त्रीधर्म नीति’, ‘हाई कास्ट हिन्दु विमेन’ ये उनकी दो प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
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Chaleja
You have written it wrong on her death it’s 1922 not 1992