NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 10 Hindi Translate | दशम: पाठ: विश्वबन्धुत्वम् हिंदी अनुवाद
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कक्षा – 7 सप्तमवर्गाय संस्कृतपाठयपुस्तकम्
दशम: पाठ: पाठ – 10
विश्वबन्धुत्वम्
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विश्वबन्धुत्वम् पाठ का हिंदी अनुवाद संसार में भाईचारा।
उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे च य: सहायतां करोति सः बन्धु: भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृश: भाव: भवेत् तदा विश्वबन्धुत्व सम्भवति।
परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्ते: च वातावरणम् अस्ति। मानवा: परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति। अपि च समर्था: देशा: असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य, शत्रुताया:, हिंसाया: च भावना दृश्यते। देशानां विकास: अपि अवरुद्ध: भवति।
हिन्दी अनुवाद
उत्सव में, संकट में, अकाल पड़ने पर, देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह मित्र होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसा भाव हो जाये तब भाईचारा सम्भव है।
परन्तु अब संपूर्ण संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं गिनते (मानते) हैं। समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना प्रदर्शित करते हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। संसार में सब जगह शत्रुता की, वैर की और हिंसा की भावना दिखाई पड़ती है। देशों का विकास भी बाधित होता है।
इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एक: देश: अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्। विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी। ततः विकसिताविकसितयो: देशयो: मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति। सर्वे देशा: ज्ञानविज्ञानयो: क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्था: भविष्यन्ति।
सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाश: सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। प्रकृति: अपि सर्वेषु समत्वेन व्यवहरति। तस्मात् अस्माभि: सर्वे: परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
हिन्दी अनुवाद
यह बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ क्षुद्र हृदय से बन्धुता का व्यवहार करें। संसार के मनुष्यो में यह भावना आवश्यक हैं। इससे विकसित – अविकसित देशों के बीच में स्वस्थ होड़ होगी। सभी देश ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री भावना और सहयोग के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ हो जाएँगे।
सूर्य और चंद्रमा का प्रकाश सब जगह समान रुप सें फैलता है। प्रकृति भी सभी के साथ समान व्यवहार करती है। इसलिए हम सभी को आपस में शत्रुता के भाव को छोड़कर विश्वबन्धुता की स्थापना करनी चाहिए।
अत: विश्वस्य कल्याणाय एतादशी भावना भवेत् –
अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम् ।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुट॒म्बकम् ॥
अन्वयः – अयं निजः पर वा इति लबुचेतसां गणना (अस्ति)। उदारचरितानां तु वसुधा एव कुटुम्बकम् (भवनि)।
हिन्दी अनुवाद
इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए –
यह अपना है अथवा पराया है, ऐसी सोच छोटे मन वालों की होती है उदार मन वालों के लिए (सम्पूर्ण) पृथ्वी ही परिवार होती है।
NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira
एनसीइआरटी कक्षा 7 संस्कृतपाठ्यपुस्तकम् रुचिरा द्वितीयो: भाग: सप्तवर्गाय के सभी पाठों के प्रश्न-उत्तर (समाधान) और हिंदी अनुवाद
Here we solve Ncert class 7 Sanskrit Ruchira Dvitiyo Bhagh all chapter Hindi translate and solution given below. Student can read an download it.
क्र. सं. | पाठ | पाठ का नाम | समाधान | लिंक |
1. | प्रथमः पाठः | सुभाषितानि | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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2. | द्वितीयः पाठः | दुर्बुद्धि: विनश्यति | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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3. | तृतीयः पाठः | स्वावलम्बनम् | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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4. | चतुर्थः पाठः | हास्यबालकविसम्मेलनम् | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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5. | पञ्चमः पाठः | पण्डिता रमाबाई | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
प्रश्न-उत्तर | क्लिक | |||
6. | षष्ठः पाठः | सदाचार: | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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7. | सप्तमः पाठः | सङ्कल्प: सिद्धिदायक: | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
प्रश्न-उत्तर | क्लिक | |||
8. | अष्टमः पाठः | त्रिवर्ण: ध्वज: | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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9. | नवमः पाठः | अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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10. | दशमः पाठः | विश्वबन्धुत्वम् | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
प्रश्न-उत्तर | क्लिक | |||
11. | एकादशः पाठः | समवायो हि दुर्जय: | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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12. | द्वादशः पाठः | विद्याधनम् | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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13. | त्रयोदशः पाठः | अमृतं संस्कृतम् | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
प्रश्न-उत्तर | क्लिक | |||
14. | चतुर्दशः पाठः | अनारिकाया: जिज्ञासा | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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15. | पञ्चदशः पाठः | लालनगीतम् | संस्कृत से हिन्दी अनुवाद | क्लिक |
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