BSERCompetition ExamHindiHindi VyakaranLEVEL 1LEVEL 2NCERTRBSEREETThird Grade Teacher

क्रिया | क्रिया की परिभाषा | क्रिया के भेद | Kriya

 

क्रिया

क्रिया की परिभाषा – जिस शब्द अथवा शब्द समूह के द्वारा किसी कार्य के होने अथवा किये जाने का बोध हो उसे क्रिया कहते है।

जैसे – सीता “नाच” रही है।
बच्चा दूध “पी” रहा है।
* व्याकरण में क्रिया विकारी शब्द है।

 
धातु क्या है ?
धातु की परिभाषा – क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। 
जैसे – खा, लिख, पढ़, जा, रो, गा, आदि। 
क्रिया के भेद – क्रिया तीन प्रकार की होती है। (क्रिया के तीन भेद है।)
1. अकर्मक क्रिया 
2. सकर्मक क्रिया 
3. द्विकर्मक क्रिया 

1. अकर्मक क्रिया 

अकर्मक क्रिया की परिभाषा – जिन क्रियाओ का असर कर्ता  पर होता है या पड़ता है वे अकर्मक क्रिया कहलाती है।  ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं पढ़ती है। 
जैसे – राकेश रोटा है। 
साँप रैगता है।
* कुछ अकर्मक क्रियाएँ निम्लिखित है। 
लजाना, होना, बढ़ना, सोना, खेलना, अकड़ना, डरना, बैठना, हँसाना, उगना, जीना, दौड़ना, रोना, ठहरना, चमकना, डोलना, मरना, घटना, फांदना, जागना, बरसना, उछलना, कूदना, कूदना आदि। 

2. सकर्मक क्रिया  

सकर्मक किया की परिभाषा – जिन क्रियाओ का असर कर्ता पर नहीं कर्म पर होता है या पड़ता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है। इन में कर्म का होना आवश्यक होता है। 
* क्रिया से “क्या” से प्रश्न किया जाता है। 
जैसे – मैं लेख लिखता हूँ।  
सुरेश मिठाई खाता है।
मीरा फल लती है। 
भंवरा फूलों का रस। 

 3. द्विकर्ममक क्रियाएँ 

द्विकर्मक क्रिया की परिभाषा – जिन क्रियाओ में दो कर्म होते है, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते है।  
जैसे – मैंने राम को पुस्तक दी। 
श्याम ने राधा को रुपए दिए। 
 
प्रयोग की दृष्टि से क्रिया पाँच प्रकार की होती है।  
सामान्य क्रिया 
जहाँ केवल एक क्रिया का प्रयोग किया जाता है। 
जैसे – आप आए। 
वह नहाया। 
 
सयुक्त क्रिया 
जहाँ दो या दो से अधिक क्रियाओ का साथ साथ प्रयोग किया जाता है, वे संयुक्त क्रिया कहलाती है। 
जैसे – मीरा महाभारत पढ़ने लगी। 
वह खा चूका। 
 
नामधातु क्रिया 
संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों से बने क्रियापद को नाम धातु क्रिया कहते है। 
जैसे – हथियाना, शरमाना, अपनाना, लजाना, झुठलाना आदि। 
 
प्रेरणार्थक क्रिया 
जिस क्रिया से ज्ञान हो की कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है, वह प्रेरणार्थ क्रिया कहलाती है। 
प्रेरक कर्ता  – प्र्रेणा प्रदान करने वाला। 
प्रेरित कर्ता  – प्रेरणा लेने वाला। 
जैसे – श्याम राधा से पत्र लिखवाता है। 
 
पूर्वकालिक क्रिया 
किसी क्रिया से पूर्व यदि कोई दूसरी क्रिया प्रयुक्त होती है, तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। 
जैसे – मैं अभी सो कर उठा हूँ। 
इस वाक्य में ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्व ‘सोकर’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः  सोकर पूर्वकालिक क्रिया है। 
* पूर्वकालिक क्रिया या तो क्रिया के सामान्य रूप में प्रयुक्त होती है अथवा धातु के अंत में ‘कर’ अथवा ‘करके’ लगा देने से पूर्व कलिक क्रिया बन जाती है।  
जैसे – राकेश दूध पीते ही सो गया। 
लड़कियाँ पुस्तकें  पढ़कर जाएँगी। 
 
अपूर्ण क्रिया 
कई बार वाक्य में क्रिया के होते हुए भी उसका अर्थ स्पष्ट नहीं होता है, ऐसी क्रियाएं अपूर्ण क्रिया कहलाती है।
जैसे – महात्मा गाँधी थे। 
तुम हो। 
इन्ही वाक्यों को इस प्रकार पूर्ण किया जा सकता है।  
महात्मा गाँधी राष्टपिता थे। 
तुम बुद्धिमान हो। 
इन वाक्यों में पूरक शब्द का प्रयोग करके वाक्यों में स्पष्टता आ गई। 
* अपूर्ण क्रिया के अर्थ को पूरा करने के लिए जिन शब्द का प्रयोग किया जाता है उन्हें “पूरक’ कहते है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!