Acid and Base | अम्ल और क्षार सिद्धांत
Acid and Base अम्ल और क्षार सिद्धांत In this chapter we read about acid and base theory. Many scientist give different types theory on acid base. अम्ल क्षार के सिद्धांतों के बारे में इस अध्याय में हम अध्ययन करेंगें। जिनमे प्रमुख अम्ल और क्षार के प्रमुख गुण तथा उनकी पहचान के बारे में जानेगें। इसी के साथ आरिनियस सिद्धांत, bronsted lowry acid base थ्योरी, लुईस सिद्धांत, Luis acid and luis base के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
Acid and Base Theory अम्ल और क्षार सिद्धांत
What is Acid अम्ल क्या है
- यह स्वाद में खट्टे होते है।
- यह नील लिटमस पात्र को लाल कर देते है।
- क्षारों से क्रिया करके अम्ल उदासीन हो जाते है।
- यह संक्षारक होते है अर्थात त्वचा को जला देते है।
What is Base क्षार क्या होते है?
- यह स्वाद में तीखे या कड़वे होते है।
- यह लाल लिटमस पात्र को नीला कर देते है।
- अम्लों से क्रिया करके क्षार भी उदासीन हो जाते है।
- यह त्वचा को नुकसान पहुँचाते है।
अम्ल-क्षार सिद्धांत
(I) आरिनियस सिद्धांत
इस सिद्धांत को जल धारण भी कहा जाता है।
इस सिद्धांत के अनुसार –
(i) वह पदार्थ जो जल में विलेय होकर प्रोटॉन (H+) आयन देते है, अम्ल कहलाते है। जबकि OH– आयन देने वाले पदार्थ को क्षार कहते है।
\(\displaystyle \begin{array}{l}HCl\,\,\,\,\overset{{{{H}_{2}}O}}{leftrightarrows}\,\,\,\,{{H}^{+}}+C{{l}^{-}}\\acid\end{array}\)
\(\displaystyle \begin{array}{l}NaOH\,\,\,\,\overset{{{{H}_{2}}O}}{leftrightarrows}\,\,\,\,N{{a}^{+}}+O{{H}^{-}}\\base\end{array}\)
(ii) अम्ल और क्षार आपस में क्रिया करके लवण और जल बनाते है। यह क्रिया उदासीनीकरण कहलाती है।
\(\displaystyle NaOH+HCl\,\,\,\,\overset{{}}{leftrightarrows}\,\,\,\,NaCl+{{H}_{2}}O\)
(iii) अम्ल और क्षार से उत्पन्न ऊर्जा उदासीनीकरण ऊर्जा कहलाती है तथा यह ऊर्जा अम्ल व क्षारो के सामर्थ्य का मापक्रम होती है।
आरिनियस सिद्धांत की कमियाँ
(i) यह सिद्धांत पदार्थों की अम्लीय तथा क्षारीय प्रकृति को केवल जल में ही स्पष्ट करता है, अन्य किसी विलायक में नहीं।
(ii) यह सिद्धांत AlCl3, ZnCl2, FeCl3, BF3 आदि की अम्लीय प्रकृति को जिस प्रकार स्पष्ट करता है, तर्क सांगत नहीं है। बल्कि जल अपघटन अभिक्रिया के रूप में होती है।
\(\displaystyle \begin{array}{l}Alc{{l}_{3}}+3{{H}_{2}}O\,\,\,\,\overset{{}}{leftrightarrows}\,\,\,\,Al{{(OH)}_{3}}+3HCl\\\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,base\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,acid\\\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,(weak)\,\,\,\,\,\,(strong)\\\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\Updownarrow \\\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,3{{H}^{+}}+3C{{l}^{-}}\end{array}\)
अमोनिया की क्षारीय प्रकृति को NH4OH के रूप में दर्शाया गया किन्तु वास्तव में NH4OH नमक यौगिक का कोई अस्तित्व नहीं होता है।
(iii) SO2, CO2, NO2, \(\displaystyle C\equiv CH\) आदि की अम्लीय प्रकृति को तर्क पूर्ण ढंग से नहीं समझाया गया।
II ब्रोनस्ट्रेट व लौरी सिद्धांत bronsted lowry acid base theory
इसे सयुग्मी अम्ल क्षार सिद्धांत या प्रोटॉन दाता ग्राही सिद्धांत भी कहते है। इस सिद्धांत के अनुसार –
वह पदार्थ जो प्रोटॉन देते है, bronsted lowry acid जबकि प्रोटॉन ग्रहण करने वाले पदार्थ bronsted lowry base कहलाते है।
वह पदार्थ जो प्रोटॉन दाता होते है, प्रोटॉन त्यागकर संयुग्मी क्षार बनाते है। इसी प्रकार प्रोटॉन ग्राही पदार्थ संयुग्मी अम्ल कहलाते है।
\(\displaystyle \begin{array}{l}HCl+N{{H}_{3}}\,\,\,\,\rightleftharpoons \,\,\,\,N{{H}_{4}}^{+}+C{{l}^{-}}\\aci{{d}_{I}}\,\,\,bas{{e}_{{II}}}\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,aci{{d}_{{II}}}\,\,\,bas{{e}_{I}}\end{array}\)
\(\displaystyle \begin{array}{l}{{H}_{2}}O+HN{{O}_{3}}\,\,\,\,\rightleftharpoons \,\,\,\,{{H}_{3}}{{O}^{+}}+N{{O}_{3}}^{-}\\bas{{e}_{I}}\,\,\,aci{{d}_{{II}}}\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,aci{{d}_{I}}\,\,\,bas{{e}_{{II}}}\end{array}\)
\(\displaystyle \begin{array}{l}N{{H}_{3}}+{{H}_{2}}O\,\,\,\,\rightleftharpoons \,\,\,\,N{{H}_{4}}^{+}+O{{H}^{-}}\\bas{{e}_{I}}\,\,\,aci{{d}_{{II}}}\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,\,aci{{d}_{I}}\,\,\,bas{{e}_{{II}}}\end{array}\)
प्रोटॉनिक पदार्थ – HCl, HNO3, H2SO4, HCN, HBr, HI आदि bronsted lowry acid है।
प्रोटॉन ग्राही – CN–, HN3, Cl–, NO–3 आदि।
उभय प्रोटॉनिक – प्रोटॉन दाता व् ग्राही दोनों प्रवृतियाँ दर्शाते है।
H2O, CH3COOH, R–OH आदि।
अप्रोटॉनिक – न प्रोटॉन दते है, न ही प्रोटॉन लेते है।
BF3, ZnCl2, FeCl3, AlCl3 आदि।
ब्रोनस्ट्रेट व लौरी सिद्धांत की कमियाँ
(i) एक ही पदार्थ प्रोटॉन दाता व प्रोटॉन ग्राही के रूप में व्यवहार करते है, जो उचित नहीं हैं।
(ii) यह सिद्धांत अम्लों व क्षारों के सामर्थ्य को स्पष्ट नहीं करता है।
(iii) उदासीनीकरण अभिक्रिया की जानकारी नहीं देता है, जो कि अम्ल व क्षारों का लाक्षणिक गुण है।
(iv) AlCl3, ZnCl2, FeCl3, RmgX, BF3 आदि कि अम्लीय प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता है।
(v) SO2, CO2 आदि कि अम्लीय प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता है।
III लुईस सिद्धांत Lewis Principle
इसे इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत भी कहते है। इस सिद्धांत के अनुसार – लुईस अम्ल Lewis Acid (ii) इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक लुईस अम्ल होते है। (iii) बहुबंध वाले यौगिक लुईस क्षार Lewis Base (ii) एकांकी युग्म वाले उदासीन यौगिक
(i) वह पदार्थ जो e– युग्म देते है लुइस क्षार तथा जो e– युग्म लेते है लुईस अम्ल कहलाते है।
\(\displaystyle \begin{array}{l}\overset{{\centerdot \,\,\centerdot }}{\mathop{N}}\,{{H}_{3}}+B{{F}_{3}}\,\,\,\,\to \,\,\,\,{{H}_{3}}N+B{{F}_{3}}\\base\,\,\,\,\,\,acid\end{array}\)
(i) सभी धनायन लुईस अम्ल होते है।
उदाहरण – H+, Na+, Mg2, NH4+, H3O+, CH3+ आदि।
उदाहरण – ZnCl2, RmgX, BF3, AlCl3, Cl2 आदि।
उदाहरण – CO2, SO2
(i) सभी ऋणायन
उदाहरण – CN–, Cl–, Br–, NO–, OR–, I–, CO–, PO4-3, BO3-3, NO-2, S-2, O-2, N-3
उदाहरण – \(\displaystyle \begin{array}{l}\ddot{N}{{H}_{3}},\,\,\ddot{R}{{H}_{3}},\,\,R-\ddot{N}{{H}_{2}},\,\,{{R}_{2}}\ddot{N}H,\,\,{{R}_{3}}\ddot{N}\\R\ddot{O}H,\,\,R-\ddot{O}R,\,\,{{H}_{2}}\ddot{\underset{\scriptscriptstyle\centerdot\centerdot}{S}},\,\,{{H}_{2}}\underset{\scriptscriptstyle\centerdot\centerdot}{\ddot{O}},\,\,R-\underset{\scriptscriptstyle\centerdot\centerdot}{\ddot{S}}-R\end{array}\)
PH – 10 पर लगाईं गयी वह ऋणात्मक घात PH कहलाती है, जो हाइड्रोजन आयन सांद्रता के बराबर हो।
PH = [H+]दोनों ओर का log लेने पर –
log10-PH = log[H+]– PH log 10 = log[H+]चूँकि log 10 = 1
∴ – PH = log[H+]PH = – log [H+)
अतः हाइड्रोजन आयन सांद्रता का ऋणात्मक लघुगुणक PH कहलाता है।
POH = हाइड्रोक्सिल आयन सांद्रता का ऋणात्मक लघुगुणक POH कहलाता है।
POH = – log [OH–]
अम्लीय विलयन की PH : वह विलयन जिनमे हाइड्रोजन आयन सांद्रता का मान हाइड्रोक्सिल आयन सांद्रता से अधिक होता है। अम्लीय विलयन कहलाते है।
अर्थात अम्लीय विलयन में,
उदाहरण – [H+] = 10-6
[OH–] = 10-8
PH = – log 10-6
PH = + 6 log 10
PH = 6
PH < 7
क्षारीय विलयन की PH : वह विलयन जिनमे हाइड्रोजन आयन सांद्रता हाइड्रोक्सिल आयन सांद्रता से काम हो क्षारीय विलयन कहलाते है।
उदाहरण – [H+] = 10-8
[OH–] = 10-6
PH = – log 10-8
PH = + 8 log 10
PH = 8
PH > 7
POH = – log 10-6
POH = 6
POH < 7
उदासीन विलयन की PH : वह विलयन जिनमे हाइड्रोजन आयन सांद्रता, हाइड्रोक्सिल आयन सांद्रता के बराबर होती है, उदासीन विलयन कहलाते है।
उदाहरण – ऐसे विलयन में,
[H+] = [OH–][H+] = 10-7
[OH–] = 10-7
PH = – log 10-7
PH = +7 log 10
PH = 7
PH = 7
POH = – log 10-7
POH = + 7 log 10
POH = 7
PH स्केल :